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कुंदन ओझा उन 20 सैनिकों में शामिल थे, जो पिछले साल आज ही के दिन. गलवान घाटी ( (Galwan clash) में चीनी सेना से लड़ते हुए शहीद हो गए. कुंदन के परिवार में अब उनकी पत्नी नम्रता कुमारी और एक बेटी है. कुंदन की बेटी दीक्षा 17 साल की थी, जब उसके पिता शहीद हुए.
नम्रता का कहना है कि उनकी बेटी और परिवार की जरूरतों को पूरा करने के लिए 10 लाख रुपये की आर्थिक मदद उनके जीवनभर नहीं चलेगी.
कुंदन अपने परिवार में एक इकलौते कमाने वाले थे. उनके बाद घर में कोई और कमाने वाला नहीं है और अब वो पूरी तरह अपने ससुराल वालों पर निर्भर हैं. नम्रता का कहना है कि उन्हें नौकरी की सख्त जरूरत है ताकि वो अपनी बच्ची और ससुराल वालों का खयाल खुद रख पाए.
गलवान घाटी में हुई मुठभेड़ में तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, बिहार, तेलंगाना और पंजाब शहीद हुए के जवानों के परिवारों को राज्य सरकारों ने नौकरी और मुआवजा दिया है. लेकिन नम्रता को अब भी सरकार से मदद का इंतजार है.
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