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तुम हमें वोट देंगे, हम तुम्हें लाठी देंगे.
देश के छात्रों के साथ आजकल यही हो रहा है. सत्ता की सूरत जो भी हो, सीरत एक सी रहती है. सूबा कोई भी हो, सत्ता में कोई भी हो, छात्रों के साथ सौतेला बर्ताव सबका ही रहता है.
अभी हाल ही में हमने देखा कि पटना में शिक्षक भर्ती की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे छात्रों को बेरहमी से पीटा गया. ये वो छात्र थे जिन्होंने 2020 में ही प्रतियोगिता परीक्षा पास की है और बहाली का इंतजार कर रहे हैं.
इसी तरह से राजस्थान के जयपुर में छात्रसंघ चुनाव को लेकर रैली कर रहे छात्रों को पीटा गया.
इससे पहले भी लखनऊ से लेकर पटना तक हम छात्रों की पिटाई देख चुके हैं. दरअसल हम सिस्टम यही बन गया है.
इससे दुखी होकर जब छात्र शांतिपूर्ण प्रदर्शन करते हैं तो उसे इग्नोर कर दिया जाता है. सालों ऐसे ही चलता रहता है. और जब छात्र उग्र प्रदर्शन करते हैं तो उनपर लाठियां चलाई जाती हैं. अभी हाल ही में हमने देखा था कि सेना में भर्ती की परीक्षा पास करने का दावा करने वाले सैकड़ों छात्रों का हमने नागपुर से दिल्ली मार्च देखा. हमने देखा कि कैसे उन्हें आगरा में रोका गया और फिर बसों में जबरन बिठा कर अलग अलग इलाको में बिलटाने के लिए छोड़ दिया गया.
बिहार के जिस पटना में अभी छात्रों को पीटा गया वहां लाखों सरकार नौकरियों के पद खाली हैं लेकिन भर्तियां नहीं हो रही हैं.
और ये सब तब हो रहा है जब इस देश के युवाओं से हर साल दो करोड़ नौकरियां देने का वादा किया गया था. केंद्र सरकार में भी लाखों की संख्या में पद खाली हैं.
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