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वीडियो एडिटर: पूर्णेन्दु प्रीतम
जब PM CARES फंड में जमा और खर्च किए गए पैसे को लेकर पारदर्शिता और RTI सवालों के जवाब की बात आती है तब प्रधानमंत्री कार्यालय या PMO बार-बार इस आधार पर जानकारी देने से इनकार करता है कि PM CARES एक पब्लिक अथॉरिटी नहीं है बल्कि एक पब्लिक चैरिटेबल ट्रस्ट है और इसलिए ये RTI के तहत नहीं आता है.
लेकिन जब PM CARES के लिए फंड इकट्ठा करने के लिए सरकारी मशीनरी के इस्तेमाल की बात आती है तो PMO कोई कसर नहीं छोड़ता है.
30 मार्च, 2020 को, पीएम मोदी ने दुनिया भर में भारतीय दूतावासों के प्रमुखों के साथ Covid-19 पर केंद्रित एक वीडियो सम्मेलन किया. इस बैठक में, पीएम ने कथित तौर पर "मिशन के प्रमुखों को सलाह दी कि वे PM-CARES को विदेशों से चंदा जुटाने के लिए सार्वजनिक रूप से चैरिटेबल ट्रस्ट के रूप में प्रचारित करें" याद रखें कि पीएम मोदी PM CARES के अध्यक्ष हैं.
RTI के जवाबों से पता चलता है कि PM की 'सलाह' का पालन करते हुए इन सभी 27 दूतावासों ने अपनी वेबसाइटों और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर PM CARES को प्रचारित किया. कुछ ने दान देने वालों के नाम भी शेयर किए लेकिन तथ्य ये है कि इस बात की उम्मीद नहीं थी कि भारतीय दूतावास चैरिटेबल ट्रस्ट के लिए प्रचार करेंगे.
यहां कतर में भारतीय दूतावास के RTI के जवाब का डिटेल है
ये भी कहा गया कि कतर स्थित 2 कंपनियों और दूतावास के 22 कर्मचारियों ने PM CARES को दान दिया था. उन्होंने दान की गई राशि को शेयर नहीं किया.
जापान में भारतीय दूतावास ने खुलासा किया कि उसने जापान में 45 लिस्टेड एसोसिएशन के साथ PM CARES की जानकारी सर्कुलेट की और दूतावास की वेबसाइट पर PM CARES का प्रचार भी किया.
दूतावास ने ये भी बताया कि एक मल्टी नेशनल जापानी कंपनी NISSEI ASB मशीन कंपनी लिमिटेड PM CARES को दान देने की इच्छुक थी. अब NISSEI ASB की महाराष्ट्र में एक ब्रांच है. द क्विंट को 16 अप्रैल 2020 का एक पत्र मिला जिसे NISSEI ASB के जनरल मैनेजर ने विदेश मंत्रालय के एक अधिकारी को लिखा है. इसमें भारत में कोविड से प्रभावित लोगों की मदद की पेशकश की बात है,
लिखा है
लेकिन पत्र के इस लाइन को ध्यान से सुनें
“इसके अलावा, हमारे भारतीय कारखाने को कल महाराष्ट्र में प्रोडक्शन एक्टिविटी को फिर से शुरू करने की मंजूरी मिल गई है. हम फिर से इस मामले के लिए आपके समर्थन और प्रयासों की सराहना करते हैं ”
PM CARES में योगदान करने की NISSEI ASB की पेशकश और उनके कारखाने को फिर से शुरू करने के लिए दी गई मंजूरी के बीच क्या यहां कोई संबंध है?
हमने उनके जनरल मैनेजर को लिखा, जिन्होंने कंफर्म किया कि NISSEI ASB ने PM CARES को दान दिया है . उन्होंने कहा,
लेकिन इसका जवाब दिलचस्प है. जनरल मैनेजर PM CARES में दान को भारत सरकार को दान समझते हैं. चैरिटेबल ट्रस्ट को नहीं और यही प्वाइंट है जो हम बता रहे हैं क्योंकि कई दान करने वाले स्वाभाविक रूप से PM CARES के दान को भारतीय सरकार को दान के रूप में देखते हैं.
क्या ये RTI के तहत नहीं आना चाहिए और पब्लिक स्क्रूटनी नहीं होनी चाहिए?
इसके बाद, चीन में भारतीय दूतावास की RTI के जवाब को देखें, जिसमें कहा गया है
पाकिस्तान में भारत के उच्चायोग ने भी RTI के सवाल का जवाब देते हुए कहा कि PM-CARES फंड से संबंधित मैसेजेज का आदान-प्रदान किया गया लेकिन ये भी कहा कि दान के लिए किसी भी निजी व्यक्ति, संगठन या NRIs से संपर्क नहीं किया गया. RTI के जवाब बताते हैं कि विदेश मंत्रालय ने दुनिया भर में दूतावासों और आयोगों के प्रमुखों को "बंद चैनलों, जो सार्वजनिक डोमेन में नहीं थे" उनके जरिए PM CARES फंड को लेकर प्रचार की बात कही थी.
सरकार ने समय के साथ ये भी जोर दिया था कि कुछ NGOs कथित रूप से विदेशी धन का गलत इस्तेमाल कर रहे थे इसलिए FCRA संशोधन की जरूरत थी. एक पब्लिक चैरिटेबल ट्रस्ट होने के नाते जिसे भी विदेशी धन प्राप्त हुआ है, जैसे PM CARES को भी FCRA के तहत आना चाहिए लेकिन इसे वित्त मंत्रालय ने छूट दी है.
क्यों? कोई नहीं जानता...
क्योंकि वित्त मंत्रालय ने RTI के तहत इस तरह की जानकारी शेयर करने से मना कर दिया है. इससे हमारे सामने कुछ महत्वपूर्ण सवाल खड़े होते हैं.
विश्व स्तर पर भारतीय दूतावासों की बदौलत PM CARES को पर्याप्त विदेशी धन प्राप्त हुए हैं क्या इस फंडिंग का ऑडिट नहीं किया जाना चाहिए, और क्या इस ऑडिट रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया जाना चाहिए?
क्या हमारा विदेश मंत्रालय किसी अन्य चैरिटेबल ट्रस्ट की पब्लिसिटी के लिए विदेशों में हमारे दूतावासों से पूछेगा? बिल्कुल नहीं तो ऐसा PM CARES के लिए क्यों किया गया?
आखिरकार, किसी भी अन्य चैरिटेबल ट्रस्ट की तरह क्या ये संभव नहीं है कि PM CARES फंड का गलत इस्तेमाल किया जा सकता है?
पीएम कई योजनाओं और फंडों के प्रमुख हैं, जो नियमित रूप से ऑडिट किए जाते हैं, तो PM CARES क्यों नहीं?
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