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आर्टिकल 370 हटाए जाने के बाद कश्मीर को लेकर उड़ी ये अफवाहें

जम्मू-कश्मीर से केंद्र सरकार ने हटाया विशेष राज्य का दर्जा

कृतिका गोयल
न्यूज वीडियो
Updated:
जम्मू-कश्मीर से केंद्र सरकार ने हटाया विशेष राज्य का दर्जा
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जम्मू-कश्मीर से केंद्र सरकार ने हटाया विशेष राज्य का दर्जा
(फोटो: क्विंट हिंदी)

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वीडियो एडिटर: वरुण शर्मा

जम्मू-कश्मीर में आर्टिकल 370 हटाने जाने के बाद से सोशल मीडिया पर कश्मीर को लेकर झूठी खबरों की बाढ़ आ गई.

किसी में दावा किया गया कि कश्मीर में लाइव एनकाउंटर चल रहा है, तो वहीं किसी में कहा गया कि केंद्र सरकार ने घाटी की सभी मस्जिदों को कब्जे में लिया है. ये अनवेरिफाइड फेक पोस्ट न सिर्फ शर्मनाक थे, बल्कि खतरनाक भी थे. खासतौर पर तब, जब घाटी के लोगों का संपर्क बाकि देश से पूरी तरह कटा हुआ था.

क्विंट की वेबकूफ टीम ने 24 घंटे में ऐसी 7 झूठी खबरों का पर्दाफाश किया.

कश्मीर में तनाव पर फेक न्यूज

42,000 फॉलोवर के ट्विटर हैंडल के साथ आमिर अब्बास नाम के एक पाकिस्तानी जर्नलिस्ट ने दो तस्वीरें पोस्ट कीं. उसमें उन्होंने दावा था कि तस्वीरें कश्मीर की हैं और इंडियन आर्मी ‘मासूम कश्मीरियों’ पर जुल्म कर रही है.

(स्क्रीनशॉट: ट्विटर)

करीब 2000 लोगों ने उन तस्वीरों को रीट्वीट किया, लेकिन ये दावा झूठा था. ये तस्वीरें पुरानी हैं और उनमें से एक तो कश्मीर की है ही नहीं. बाईं तरफ एक जख्मी चेहरे के साथ महिला को दिखा रही फोटो गाजा की है और वो भी 2014 की है.

दिलचस्प बात है कि 2017 में संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान की स्थायी प्रतिनिधि मलीहा लोधी ने भी इन तस्वीरों को कश्मीरियों पर हो रहे अत्याचार के सबूत के तौर पर पेश करने की कोशिश की थी: जो संयुक्त राष्ट्र में बोला गया कोरा झूठ था.

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फेक पोस्ट में कश्मीर में लाइव एनकाउंटर का दावा किया गया

एक और पोस्ट था जिसमें दावा किया गया है कि ये कश्मीर में लाइव एनकाउंटर का वीडियो है.

(स्क्रीनशॉट: ट्विटर)

लेकिन ये भी झूठ ही निकला. वेबकूफ की टीम ने पता लगाया कि ये पुराना वीडियो है. दरअसल ये वीडियो भारत और अमेरिका के बीच ज्वाइंट मिलिट्री एक्सरसाइज का है जो 2016 में उत्तराखंड के चौबट्टिया गांव में हुई थी.

हकीकत ये है कि इस वीडियो को डीडी न्यूज की एक रिपोर्ट से लिया गया और इस तरह से पेश किया गया ताकि ये एनकाउंटर लगे.

ये पोस्ट पुराने और किसी दूसरी घटना के होते हैं, और इन्हें एक खास एजेंडे के तहत बनाया जाता है. इसलिए सतर्क रहना जरूरी है.

इसलिए हर उस चीज पर यकीन मत कर लीजिए जो असली जैसी लग रही है. फेक न्यूज सिर्फ फर्जी खबर नहीं, खतरनाक भी हो सकती है.

यासिन मलिक की मौत की अफवाहें

अब एक ऐसी खबर जिसके स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गंभीर नुकसान हो सकते थे. अफवाह थी कि जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट के चीफ यासिन मलिक की मौत हो गई है. इस खबर में, प्रदेश में सेना की तैनाती को भी ये कहते हुए उचित ठहराया गया कि ये सब कश्मीर में शांति बनाए रखने के लिए किया गया है. इस खबर का क्रेडिट बीबीसी उर्दू को दिया गया.

यासिन मलिक की खराब सेहत को लेकर मीडिया में कई रिपोर्ट्स आई हैं, लेकिन उसकी मौत की खबर कहीं रिपोर्ट नहीं की गई. क्योंकि ये अफवाह वॉट्सऐप और ट्विटर पर शुरू हुई थी, तिहाड़ जेल के डीजी ने इसपर सफाई जारी की और कहा कि यासिन मलिक ठीक है.

फेक न्यूज के जाल में फंसने से बचें

ये जानने के लिए कि कोई न्यूज रिपोर्ट, पोस्ट या वीडियो फेक है, ऐसे कई चेक पॉइंट्स हैं, जिन्हें आप देख सकते हैं. इस मामले में, खबर का क्रेडिट बीबीसी उर्दू को दिया गया, लेकिन क्या उन्होंने खुद इसे रिपोर्ट किया? नहीं. तो क्या ये चेतावनी नहीं है? बिल्कुल है. अब अगर अगली बार आप किसी अनवेरिफाइड खबर को देखें, तो फॉरवर्ड बटन पर क्लिक करने से पहले दो बार सोचें. खबर की तह तक जाएं और अगर आपको लगता है कि आप ये कैसे करेंगे, तो आप बस उसे हमारे साथ शेयर कीजिए, हम उसे आपके लिए वेरिफाई करेंगे.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: 07 Aug 2019,10:48 PM IST

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