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जम्मू-कश्मीर के विभाजन पर बोले कश्मीरी- ‘हमारे साथ धोखा हुआ’

31 अक्टूबर से दो केंद्र शासित प्रदेशों में बंट गया है जम्मू-कश्मीर

क्विंट हिंदी
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31 अक्टूबर से दो केंद्र शासित प्रदेशों में बंट गया है जम्मू-कश्मीर
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31 अक्टूबर से दो केंद्र शासित प्रदेशों में बंट गया है जम्मू-कश्मीर
(फोटो: क्विंट हिंदी)

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वीडियो एडिटर: मोहम्मद इरशाद आलम

वीडियो प्रोड्यूसर: हेरा खान और सोनल गुप्ता

31 अक्टूबर से जम्मू-कश्मीर दो केंद्र शासित प्रदेशों में बंट गया है. केंद्र सरकार ने 5 अगस्त को जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाते हुए विशेष राज्य का दर्जा वापस ले लिया था. जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटने को लेकर द क्विंट ने वहां के स्थानीय लोगों से बात कर ये जानने की कोशिश कि राज्य के इस बंटवारे पर वो क्या सोचते हैं और इसे कैसे देखते हैं.

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स्थानीय लोगों का कहना है कि इससे उनके अस्तित्व पर खतरा पैदा हो गया है. लोगों ने कहा कि उनसे बड़े-बड़े वादे किए गए थे, लेकिन असल में कुछ नहीं हुआ.

‘मुझे हमेशा से लगता था कि ये एक केंद्र शासित प्रदेश था, सभी आदेश केंद्र सरकार से ही आते हैं. अब ये औपचारिक तौर पर केंद्र शासित प्रदेश बन जाएगा. भले ही उन्होंने आर्टिकल 370 हटा दिया हो, उन्हें इसे केंद्र शासित प्रदेश नहीं बनाना चाहिए था.’
फ़िरदौस क़ादरी, छात्र
‘मुझे नहीं लगता कि इसे केंद्र शासित बनाने से कोई भी मदद मिलेगी. यहां वैसे 10 प्रतिशत भी सरकारी नौकरियां नहीं थीं, अब वो भी 0 हो जाएगी. उनका वादा करना जारी है. खुदा जाने 1990 से कितने वादे किए गए हैं, पूरा एक भी नहीं किया गया.’
जुनैद, बिजनेसमैन

स्थानीय लोगों ने कहा कि सरकार ने उनसे हालात सुधरने का वादा किया था, लेकिन पिछले तीन महीनों में स्थिति और बदतर हो गई है. कश्मीर के व्यापारी जुनैद ने कहा कि पिछले 3 महीने से उनका कपड़ों का बिजनेस घाटे में चल रहा है और पिछले कुछ महीने में उन्हें 7-8 लाख रुपए का नुक्सान उठाना पड़ा है.

सिर्फ बिजनेस ही नहीं, पिछले कुछ महीनों में छात्रों को भी काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा है. रिटायर्ड सरकारी कर्मचारी शाहिदा का कहना है कि उन्हें अपने बच्चों को देश से बाहर पढ़ने के लिए भेजना पड़ा क्योंकि घाटी में स्थिति बहुत खराब है.

‘हमें प्रताड़ित किया गया. उन्होंने कहा कि वो हमारे लिए ये बनाएंगे-वो बनाएंगे, लेकिन न के बराबर काम हुआ है. हमें बंदी बनाया गया. ये प्रताड़ना है.’
ग़ुलाम नबी ख़ान, वेंडर

श्रीनगर के स्थानीय निवासी हारून नबी ने कहा, 'अगर यहां कुछ भी विकास हुआ होता, तो यहां के नेताओं को नजरबंद नहीं किया जाता, बच्चों को बंदी नहीं बनाया जाता, दो महीने के लिए फोन लाइनें बंद नहीं की जाती. हम अब भी प्रीपेड फोन का इस्तेमाल नहीं कर सकते. हमें तो अब भी नहीं पता कि यहां चल क्या रहा है. लोगों में बहुत गुस्सा है. यहां शांति से एक विरोध प्रदर्शन चल रहा है.'

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