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वीडियो एडिटर: विशाल कुमार
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) की 1,500 छात्राओं ने राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद से कैंपस के अंदर सेक्सुअल हैरेसमेंट केस की सुनवाई करने वाली व्यवस्था को लेकर हस्तक्षेप की मांग की है. इसे लेकर छात्राओं ने राष्ट्रपति के पास एक याचिका भेजी है.
उनका कहना है कि कैंपस के अंदर ऐसे मामलों की जांच को लेकर लापरवाही हो रही है. खास तौर से प्रोफेसर अतुल जौहरी के मामले में, जहां जेएनयू की आंतरिक शिकायत समिति ने प्रोफेसर को निर्दोष करार दिया है क्योंकि उनके खिलाफ पर्याप्त सबूत नहीं है.
छात्राओं ने अपनी दलील में राष्ट्रपति को सेक्सुअल हैरेसमेंट के खिलाफ जीएसकैश (GSCASH) को बहाल करने के लिए भी कहा है. उनका कहना है कि ये कैंपस के अंदर सेक्सुअल हैरेसमेंट केस की जांच और निपटारा करने वाली लोकतांत्रिक कमिटी थी.
याचिका की 1,500 हस्ताक्षर वाली काॅपी क्विंट के पास है.
याचिका में जेएनयू के डेमोक्रेटिक स्टूडेंट्स फ्रंट (डीएसएफ) के छात्रों ने कहा है कि “GSCASH का गठन जेएनयू के छात्रों, शिक्षकों और अन्य वर्गों द्वारा किए गए संघर्ष के बाद हुआ था. उसे 2017 में मौजूदा वीसी जगदीश कुमार मामीडाला ने अवैध रूप से हटा दिया था."
सेक्सुअल हैरेसमेंट के केस पर सुनवाई करने के लिए कैंपस में जीएसकैश (GSCASH) को हटाकर आंतरिक जांच कमिटी-आईसीसी लाई गई है. छात्रों का कहना है कि उन्हें आईसीसी पर भरोसा नहीं है.
स्टूडेंट्स ने इस याचिका में जेएनयू के प्रोफेसर अतुल जौहरी का जिक्र किया है जिन्हें आईसीसी ने क्लीन चिट दे दी थी. जौहरी जेएनयू के लाइफ साइंस विभाग में प्रोफेसर हैं और इस विभाग की 8 छात्राओं ने उन पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था.
बाद में छात्राओं से छेड़छाड़ करने के आरोप में दिल्ली पुलिस ने जौहरी के खिलाफ 8 मुकदमे दर्ज किए थे. इस मामले में दिल्ली पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार भी किया था.
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