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आर्टिकल 370 हटने के 1 महीने बाद कश्मीर में कैसे हैं हालात? 

पिछले 1 महीने में हमने कश्मीर में क्या-क्या देखा?

सना इरशाद मट्टू
न्यूज वीडियो
Published:
370 हटने के 1 महीने बाद भी कश्मीर के लोगों की नाराजगी और गम कम नहीं हो रही.
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370 हटने के 1 महीने बाद भी कश्मीर के लोगों की नाराजगी और गम कम नहीं हो रही.
(फोटो: क्विंट हिंदी/सना इरशाद मट्टू)

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वीडियो एडिटर: विशाल कुमार

वीडियो प्रोड्यूसर: सृष्टि त्यागी/हेरा खान

कश्मीर से आर्टिकल 370 हटने के बाद 1 महीने का समय गुजर चुका है. वहां अबतक कर्फ्यू जारी है, कम्युनिकेशन ठप है, मीडिया पर कुछ बंदिशें बरकरार है.

घाटी में हालात सामान्य कब होंगे? इसे लेकर आम कश्मीरियों के मन में क्या चल रहा है? ये जानने के लिए क्विंट लगातार कश्मीरी छात्रों, मजदूरों, गृहणियों, कारोबारियों और पुलिसकर्मियों से बातचीत कर हालात के बारे में जानने की कोशिश कर रहा था. घाटी के हालात को लेकर अबतक कश्मीरियों के अंदर गुस्सा और नाराजगी बरकरार है. सुनिए वो क्या कह रहे हैं.

ये छात्रों के लिए काफी डिप्रेसिंग है, हमारे लिए पढ़ाई पर ध्यान देना भी मुश्किल हो गया है. हम एक तरह से नजरबंद हैं, हिरासत में हैं. हमें अपने घर से निकलने की इजाजत नहीं है. हमें बात करने की इजाजत नहीं है. यहां के युवाओं में एक तनाव की स्थिति बनी हुई है.
अरूज भट्ट, छात्र

श्रीनगर की इरफाना का कहना है कि सभी रिपोर्ट में बताया जा रहा है कि 'कश्मीर में हालात ठीक हैं' लेकिन ये गलत है, उन्होंने बताया कि लैंडलाइन चालू होने के बावजूद कई इलाकों में फोन बंद पड़े हैं.

बिल्कुल गलत दिखाया जा रहा है. न यहां फोन चल रहे हैं, न कुछ... बोलते हैं लैंडलाइन चल रही है, कहां है बताइए मुझे? हर घर में बीमारी है, कोई तभी दवाई लेकर आएगा जब उसके पास पैसे हों दिहाड़ी मजदूर सुबह जाते हैं शाम को पैसे लाते हैं, तब जा कर घर का राशन ला पाते हैं. इन्हें आम आदमी का कुछ नहीं पता है, क्या इन्होंने सोचा है कि मजदूर क्या करेगा, गरीब क्या करेगा? 
इरफाना, स्थानीय निवासी
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रिपोर्टिंग के दौरान हमें एक अस्पताल के बाहर बैठे जावेद मिले. वो दिहाड़ी मजदूर हैं. उन्होंने बताया कि उनका परिवार काफी परेशान है. उनकी प्रेग्नेंट बीवी को अस्पताल तक पैदल चलकर आना पड़ा.

हम इस वक्त अस्पताल में हैं. घर पर लोगों को पता ही नहीं है, वो घबरा रहे होंगे कि”‘क्या हो गया इन्हें? वो अस्पताल पहुंच गए हैं या नहीं?” हम पैदल आए हैं. जब मेरी बीवी बीमार हो गई तब हमें आना पड़ा. वो इतनी थक गई कि रास्ते में 10-12 जगह उसे बैठना पड़ा. 
जावेद, दिहाड़ी मजदूर

श्रीनगर में ड्यूटी पर तैनात एक कश्मीरी पुलिसकर्मी से भी हमने बात की. नाम और चेहरा छिपाने की शर्त पर वो बात करने को राजी हुए. हमने सवाल किया,

आप पुलिस में काम करते हैं तो आपको अपनी स्थिति कैसी लगती है? आपको तो पता है कि सब विरोध में हैं.

यहां के लोगों का हिंदुस्तान से भरोसा उठ गया है, क्योंकि अगर 370 हटान ही था तो लोगों का समर्थन लेना चाहिए था. उनसे बात करनी चाहिए थी, फिर देखते कि लोगों को क्या कहना है. मुझे लगता है कि इस वक्त यहां सभी लोग परेशान हैं. यहां के विधायक तक गिरफ्तार हैं. अगर किसी बेगुनाह को गिरफ्तार करते तो क्या उनकी कोई सुनता है?

लोगों से बातचीत कर हमने महसूस किया, कश्मीर के लोग अब भी गम में हैं, गुस्से में हैं. जिंदगी बेपटरी है. कारोबार बंद है.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

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