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दिल्ली हिंसा: अपनों को कभी अस्पताल, कभी मुर्दाघर में ढूंढते परिवार

दिल्ली हिंसा में लापता हुए लोगों को ढूंढती परिवारों की नम आंखे

शादाब मोइज़ी
न्यूज वीडियो
Published:
दिल्ली हिंसा: अपनों को कभी अस्पताल, कभी मुर्दाघर में ढूंढते परिवार
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दिल्ली हिंसा: अपनों को कभी अस्पताल, कभी मुर्दाघर में ढूंढते परिवार
(फोटो: क्विंट हिंदी)

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वीडियो प्रोड्यूसर: एंथनी रोजारियो

वीडियो एडिटर: संदीप सुमन/विवेक गुप्ता

उत्तर पूर्वी दिल्ली के गुरु तेग बहादुर (GTB) अस्पताल के मुर्दाघर के बाहर यूपी के बिजनौर से आए फिरोज और उनके दो भाइयों का इंतजार खत्म ही नहीं हो रहा है. दिल्ली में हुई हिंसा में 21 साल के आफताब लापता हो गए हैं, लेकिन वो शिव विहार पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराने नहीं जा रहे हैं.

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आफताब को गुम हुए 4 दिन बीत चुके हैं, उनका परिवार अब तक पता नहीं लगा पाया है कि आफताब किस हालत में हैं, जिंदा हैं भी या नहीं. आफताब के भाई रिजवान का कहना है कि 'लोगों ने हमें कहा कि हम शिव विहार नहीं जाएं क्योंकि हम भी अपने भाई आफताब की तरह लापता हो सकते हैं'

फिरोज का कहना है कि 24 फरवरी को हिंसा फैलने के वक्त उनका भाई आफताब एक वेयरहाउस में फंस गया था, दूसरे दिन 4 पुलिसकर्मी पहुंचे और उन्होंने आफताब से बाहर आने को कहा,

लेकिन तब से अब तक उसका कुछ पता नहीं है, हमने सुना है कि उस पर हमला हुआ है, कुछ कहते हैं कि उसे हिंसा में लोगों ने मार दिया तो कुछ कहते हैं कि उसे पुलिस उठाकर ले गई है, हमें उसकी हालत का कुछ पता नहीं है.
फिरोज, आफताब के भाई 

काम की तलाश में दिल्ली आए थे आफताब

भविष्य सुधारने की आस लिए आफताब बिजनौर के अपने गांव से दिल्ली आया था ताकि वो दिल्ली में काम कर सके, परिवार की मदद कर सकते. लेकिन जैसे-जैसे दिन बितते जा रहे हैं, आफताब के परिवार की बेचैनी बढ़ रही है.

‘हमने सुना है कि उन्हें कुछ लाशें मिली हैं, तो हम मुर्दाघर देखने आए हैं कि कहीं आफताब भी तो उनमें से नहीं है...
फिरोज, आफताब के भाई 

जब भी मुर्दाघर में कोई लाश आती है, वो परेशान हो जाते हैं.

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