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महाराष्ट्र के किसान एक बार फिर राज्य की देवेंद्र फडणवीस सरकार को घेरने के लिए लॉन्ग मार्च करने निकले हैं. किसानों की तैयारी मुंबई तक जाकर सरकार से अपनी मांगें मनवाने की है.
इस बार पुलिस ने किसानों के लॉन्ग मार्च को परमिशन नहीं दी है. हालांकि, किसान नेता मुंबई जाने को लेकर आक्रामक नजर आ रहे हैं. ऐसे में किसानों और पुलिस के बीच संघर्ष होने की आशंका जताई जा रही है.
नासिक के मुंबई नाका बस स्टॉप पर हजारों की संख्या में किसान जुटे हैं. किसानों का कहना है कि मुख्यमंत्री फडणवीस ने उनकी मांगें नहीं मानी हैं, इसलिए उन्हें एक बार फिर मार्च के लिए साथ आना पड़ा है. इसके अलावा किसानों ने कहा
वन-जमीन तो इन किसानों के नाम पर है लेकिन 7/12 किसानों के नाम पर ना होने की वजह से सूखा या बारिश की वजह से जब फसल बर्बाद हो जाती है, तब सरकार की तरफ से नुकसान की भरपाई नहीं हो पाती.
फडणवीस सरकार ने महाराष्ट्र में किसानों का कर्ज भले ही माफ कर दिया हो, लेकिन कई तरह के नियमों और प्रक्रिया ऑनलाइन होने की वजह से बहुत से किसानों को फायदा नहीं मिल पाया है.
बहुत से किसानों का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में जिस फसल बीमा योजना की शुरुआत की, उसका फायदा सही तरीके से नहीं मिल रहा. इन किसानों ने बताया कि उन्होंने फसल का बीमा तो कराया, लेकिन फसल बर्बाद होने के बाद उन्हें पैसे नहीं मिल रहे हैं.
किसानों की एक मांग स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशें लागू किए जाने की भी है. किसानों का कहना है कि उन्हें फसलों के सही दाम मिलने चाहिए.
फडणवीस सरकार का कहना है कि सरकार ने किसानों के साथ कोई वादा-खिलाफी नहीं की है. मुंबई में पिछली बार सीएम फडणवीस और किसानों के प्रतिनिधियों के बीच हुई बैठक के बाद वन-जमीन पट्टों के 7/12 देने का काम शुरू किया गया. बताया जा रहा है कि अब तक सरकार ने करीब 43 हजार किसानों को इसके पत्र दे दिए हैं और बचे हुए आवेदनों को जल्द निपटाने की प्रक्रिया चल रही है. जानकारी के मुताबिक, अभी सरकार के पास करीब 2 लाख आवेदन बचे हुए हैं.
महाराष्ट्र सरकार में मंत्री गिरीश महाजन किसानों से बात करने के लिए मुंबई से नासिक पहुंचे हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि किसान जब आक्रामक होते हैं, तब ही सरकार की नींद क्यों खुलती है? अब यह देखना अहम होगा कि क्या महाजन के आश्वासन के बाद किसान मानते हैं या फिर किसानों और सरकार के बीच संघर्ष बढ़ेगा?
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