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मध्य प्रदेश की आदिवासी जनता को मिला है आदिवासी नेता. मध्य प्रदेश में आदिवासी आबादी करीब 21% है, लेकिन मानव विकास सूचकांक काफी नीचे है. आदिवासियों से जुड़ी समस्याओं को सामने लाने के लिए मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले मैदान में एक नई राजनीतिक ताकत उतरी है, जिसका नाम है ‘जय आदिवासी युवा शक्ति’ जिसके पीछे पूर्व AIIMS डॉक्टर, हीरालाल अलावा खड़े हैं.
स्थानीय आशा भार्गव का कहना है कि प्रदेश में जागरूकता नहीं है, शिक्षा का अभाव है. स्कूल, कॉलेज, चिकित्सा सुविधाओं का अभाव है. महिलाओं के लिए विशेष सुविधा नहीं है. कुपोषण बढ़ता ही जा रहा है.
इतना ही नहीं, अलावा की रैली में गोविंदा ने भी शिरकत की और लोगों को प्रोत्साहन देने की कोशिश की है. उन्होंने कहा कि ऐसे आंदोलनों की जरूरत है. ऐसे आंदोलनों के जरिए लोगों को इसके नेताओं के साथ अपनी आवाज पूरे देश में पहुंचाने का मौका मिलेगा.
AIIMS के असिस्टेंट प्रोफेसर रहे डॉ. अलावा से जब पूछा गया कि उन्होंने नौकरी क्यों छोड़ी, तो उन्होंने कहा, 'नौकरी छोड़ने की वजह ये थी कि बीते कुछ सालों से देख रहे थे कि आदिवासी इलाकों और मेट्रो शहरों के विकास में 50-100 साल का फर्क दिखता है. पिछले 70 सालों में हमारे इलाकों में बीजेपी और कांग्रेस का राज रहा है, लेकिन इन पार्टियों का कोई भी विधायक, सांसद आदिवासियों के अधिकारों, खासकर पांचवीं अनुसूची PESA कानून, वन अधिकार कानून को लेकर कभी विधानसभा या लोकसभा में सवाल नहीं उठाते.'
मध्य प्रदेश के 20 आदिवासी बहुल जिलों में JAYS ने आदिवासी अधिकार यात्रा निकाली, जिसमें कई लोगों ने हिस्सा लिया. इस यात्रा पर सीएम शिवराज सिंह चौहान को भी ध्यान देना पड़ा. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह से बात करने के बारे में डॉ अलावा ने बताया:
JAYS सिर्फ 5 साल पुराना संगठन है. उन्होंने खुद को बतौर राजनीतिक दल रजिस्टर नहीं कराया है, उनके उम्मीदवार इस चुनाव में निर्दलीय के तौर पर उतरेंगे. लेकिन JAYS के संस्थापक डॉ. हीरालाल अलावा को भरोसा है कि नतीजों के बाद वो किंगमेकर की भूमिका में होंगे.
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