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वीडियो एडिटर: कनिष्क दांगी
महाराष्ट्र में एक दिन में नए कोरोना केस-करीब 49 हजार, 200 से ज्यादा मौत, सिर्फ मुंबई में 8 हजार से ज्यादा नए केस, 62% कोरोना बेड फुल. पूरे देश में जितने नए केस, उसके आधे से ज्यादा सिर्फ महाराष्ट्र में. डरावनी बात ये है कि एक्सपर्ट कह रहे हैं अभी हालात सुधरेंगे नहीं बिगड़ते चले जाएंगे. युद्धकाल जैसी इस स्थिति में महाराष्ट्र की सरकार क्या कर रही है? इंतजार...
पिछले कुछ दिनों में मुख्यमंत्री कई बार एक ही बात दोहरा चुके हैं...हालात नहीं सुधरे तो लॉकडाउन लगा दूंगा. लेकिन हालात हैं कि बिगड़ते जा रहे हैं, हालत ये है कि गठबंधन के दल ही एकदम नहीं हैं. एनसीपी लॉकडाउन के लिए राजी नहीं है.
दूसरी सहयोगी कांग्रेस लॉकडाउन से पहले डायरेक्टर कैश ट्रांसफर की मांग कर रही है
ये लोग ऐसा क्यों कह रहे हैं ये भी समझिए-
राज्य के सभी होटल्स इस्टैब्लिशमेंट की शिखर संगठन आहार के पूर्व अध्यक्ष और सलाहकार आदर्श शेट्टी ने क्विंट से कहा-पिछले एक साल में हुए करोड़ों के नुकसान से जूझ रहे होटल व्यवसायी एक और लॉकडाउन बर्दाश्त नहीं कर सकते.फिर से लॉकडाउन करना हमारी इंडस्ट्री के लिए जानलेवा साबित हो सकता है
फेडरेशन ऑफ रिटेल ट्रेडर्स वेलफेयर एसोसिएशन के वीरेन शाह का कहना है कि, "लॉक डाउन से कोरोना खत्म नहीं होगा लेकिन व्यापारी खत्म हो जाएंगे. पिछले साल लॉकडाउन से व्यापारी कर्ज में डूब गए हैं. अभी धीरे-धीरे गाड़ी पटरी पर आ रही है. लॉकडाउन सहने की ताकत अब व्यापरियों में नहीं बची है."
महाराष्ट्र रिक्शा-टैक्सी-मॉक-चालक कृति समिति के अध्यक्ष शशांक राव ने क्विंट को बताया कि “लॉकडाउन के दौरान ट्रांसपोर्ट पर इतना बुरा असर पड़ा है कि लगभग 25% रिक्शा बैंक के किश्त ना चुकाने की वजह से जब्त कर लिए गए हैं.” लॉकडाउन होने से सिर्फ मुंबई में रिक्शा वालों को हर दिन 20 करोड़ का नुकसान होता है.
लेकिन एक्सपर्ट बताते हैं कि महाराष्ट्र में बहुत कठिन दिन आने वाले हैं..नहीं संभले तो बहुत मुश्किल हो जाएगी.
महाराष्ट्र स्टेट कोविड टेक्निकल एडवाइजर डॉ. सुभाष सालुंखे का कहना है कि-
लेकिन ये प्रोटोकॉल लाएगा कौन? सरकार. इसे सख्ती से लागू कौन कराएगा? सरकार. लेकिन फिलहाल सरकार का रवैया देख लग रहा है कि एक हाथ को नहीं मालूम कि दूसरा क्या कर रहा है? जो एनसीपी राज्य में लॉकडाउन पर उद्धव को कॉर्नर कर रही है उसी के नेता अजीत पवार ने पुणे में मिनी लॉकडाउन का एलान कर दिया.
सीएम ने 2 अप्रैल को महाराष्ट्र को संबोधित किया लेकिन भरोसा जगने लायक कुछ कहा नहीं. क्या एजेंडा है? कैसे रोकेंगे कोरोना को. नई पाबंदियां लगाएंगे? कब लगाएंगे? कह रहे हैं कि हेल्थ स्टाफ की कमी है. तो पूरे साल क्या करते रहे? लोगों की जान की कीमत पर सियासत कर रहे हैं क्या? जिंदगी और मौत के सवाल पर गठबंधन के साथियों में सहमति क्यों नहीं? या पूरी सरकार ही सचिन वझे में बझ गई है? माना भी चक्रव्यूह में फंसे हैं...लेकिन उसे तोड़ेंगे तभी तो अभिमन्यु कहलाएंगे!
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