कोरोना इन विधवा महिलाओं को रोज दर्द देता है... आज भी

महाराष्ट्र में कोविड-19 की वजह से विधवा हुईं हजारों महिलाओं के सामने परिवार की बड़ी जिम्मेदारी

ऋत्विक भालेकर
न्यूज वीडियो
Updated:
<div class="paragraphs"><p>कोविड एकल&nbsp; महिला&nbsp;</p></div>
i

कोविड एकल  महिला 

क्विंट हिंदी 

advertisement

महाराष्ट्र (Maharashtra) में एकल महिला पुनर्वसन समिति के सर्वे में सामने आया है कि 22 जिलों में लगभग 20 हजार महिलाओं ने कोरोना (Covid 19) की वजह से अपने पति को खो दिया है. जिसमें ज्यादातर 50 साल से कम उम्र के मरीज शामिल थे.

मेरे पति रिक्शा चलाते थे. रिक्शा पर हमारा परिवार चलता था. लेकिन कोरोना से उनका निधन हो गया. अब में अकेली हूं अपने दो बच्चों के साथ. उनकी पढ़ाई, उनका भविष्य सब मेरी जिम्मेदारी है. मुझे किसी का सहारा नहीं है. अब मैं अकेले उनको कैसे संभालूं ये सवाल मेरे सामने है.
लक्ष्मी डोंगरे, एकल महिला

लक्ष्मी डोंगरे अपनी ये दर्दभरी कहानी बताती हैं. जिनका परिवार नासिक के पवननगर परिसर में रहता है.

लक्ष्मी डोंगरे सरकार से मदद की मांग करते हुए आगे कहती हैं कि,

सरकार की तरफ से हमारे लिए कोई व्यवस्था की जाए. अगर कोई नौकरी मिले तो वो भी करने को तैयार हूं, क्योंकि मेरे बच्चों को बड़ा करने के लिए मेरे पास और कोई साधन नही हैं.
लक्ष्मी डोंगरे, एकल महिला

नासिक में 292 महिलाओं के सामने संकट

सिर्फ नासिक के एक तालुका में 292 ऐसी एकल महिलाएं हैं, जिनका कोरोना के कारण सुहाग उजड़ गया है. एकल महिला संगठन की कुंदा पवार का कहना है कि, "उन्होंने जिला स्तर पर ऐसी महिलाओं के सर्वे का काम शुरू किया है. उनकी मदद के लिए उनका प्रयास जारी हैं.

औरंगाबाद नाके पर पाटिल परिवार एक किराए के मकान में रहता है. कोरोना ने 35 उम्र के नौजवान ज्ञानेश्वर पाटिल को अपने परिवार वालों से छीन लिया. ध्यानेश्वर पाटिल की पत्नी ज्योति बताती हैं कि,

इनके जाने के बाद परिस्थिति काफी कठिन हो गई है. मेरी दो बेटियां है. एक 3 साल और दूसरी पांच साल की है. इससे पहले मैं सिर्फ बर्तन धोने का काम करती थी. हाल ही में मुझे हॉस्पिटल सेक्योरिटी में काम मिला है. लेकिन इसमें भी मेरा गुजारा नहीं होता. मेरे माता-पिता भी बहुत गरीब हैं. मेरी पढ़ाई भी सिर्फ छठी तक हुई है. ऐसे में सरकार को हमारे लिए कुछ करना चाहिए.
ज्योति पाटिल, एकल महिला

ज्योती के पिता भी बताते हैं कि दामाद की मौत के बाद अब वो अपनी बेटी के साथ रहने आ गए हैं. दो छोटे बच्चों को संभालना है. उनका मानना है कि सरकार को ऐसे गरीब एकल महिलाओं की तरफ ध्यान देना चाहिए.

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

स्कूल फीस भरने तक के पैसे नहीं

एकल महिलाओं का सर्वे कर रही शार्दूल का कहना है कि,

इन महिलाओं की काफी सारी समस्याएं हैं. कइयों के पास बच्चों की स्कूल की फीस नहीं है. कई के घर पर अनाज नहीं है और सिर्फ एक वक्त का खाना नसीब होता है. इसीलिए इन महिलाओं को स्वयं रोजगार के काबिल बनाना जरूरी हो गया है.
शार्दूल, एकल महिला पुनर्वसन समिति

राज्य में ऐसी कितनी महिलाएं ?

दरअसल, महाराष्ट्र में 22 जिलों के 120 तालुका में एकल महिला पुनर्वसन समिति के माध्यम से कई स्वयंसेवी संस्थाओं ने सर्वे किया. जिसमें सामने आया कि लगभग 20 हजार ऐसी महिलाएं हैं जिनके पति की कोरोना से मौत हो गई और पूरा संसार उजड़ गया. इसमें ज्यादातर पुरुष 50 साल से कम उम्र के हैं, जो सबसे बड़ी चिंता का विषय है. इसीलिए इतनी कम उम्र में पति को खोने के बाद इन एकल महिलाओं और उनके बच्चों का कोई सहारा नहीं रहा.

सरकार क्या मदद कर रही है?

इन महिलाओं को मदद के लिए संस्थाओं की तरफ से काफी प्रयासों के बाद अब सरकार ने 'मिशन वात्सल्य' नामक विशेष अभियान की घोषणा की है. विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्र की गरीब और वंचित वर्गों की विधवाओं के लिए ये अभियान शुरू किया गया है.

जिसके तहत इन विधवा महिलाओं को कुल 18 सेवाएं और योजनाओं का लाभ देने की तैयारी की है. महिला एवं बाल विकास विभाग और स्थानीय इकाई के अधिकारी - कर्मचारियों के साथ आंगनवाड़ी सेविकाएं इन महिलाओं के घर जाकर उन्हें सेवाएं प्रदान करेंगीं.

क्या है स्वयंसेवी संस्थाओं की मांगे ?

एकल महिला पुनर्वसन समिति के प्रमुख हेरंब कुलकर्णी का कहना है कि, "सभी महिलाओं की मदद के लिए सरकार को एक सुस्पष्ट योजना बनाना जरूरी है. समिति की तरफ से किए सर्वे के मुताबिक महिलाओं की समस्याएं के आधार पर योग्य मांगों का निवेदन सरकार को सौंपा है. साथ ही सीएम और प्रधानमंत्री को 1400 मेल भेजकर अपनी मांगो की की तरफ ध्यान खींचने की कोशिश की है."

प्रमुख मांगे

  • कोरोना में मरने वाले 50 साल से कम उम्र के लोगों की 20,000 विधवाओं का सरकार सर्वे करे.

  • इन महिलाओं के पुनर्वास के लिए जिला कलेक्टर टास्क फोर्स को गैर सरकारी संस्थाओं के साथ तालुका स्तर पर समितियां बनाएं.

  • महाराष्ट्र सरकार राजस्थान, दिल्ली, बिहार, उड़ीसा, केरल राज्यों का अध्ययन करके कोरोना विधवाओं को एकमुश्त सहायता प्रदान करे और इन महिलाओं के लिए पेंशन शुरू करे.

  • इन महिलाओं को सभी सरकारी योजनाओं में प्राथमिकता देते हुए संजय गांधी निराधार योजना, राष्ट्रीय कुटुम्ब कल्याण निधि, बाल संगोपन योजना का प्रभावी तरीके से कार्यान्वित करे.

  • इन सभी महिलाओं को 15वें वित्त आयोग से पंचायत राज व्यवस्था से मदद करे और उन्हें राशन के लिए अंत्योदय योजना में शामिल करे.

  • इन महिलाओं को व्यावसायिक उद्यम शुरू करने के लिए महिला विकास निगम द्वारा कम ब्याज दर पर ऋण मिले.

  • इन महिलाओं के ससुराल की संपत्ति के अधिकारों को सुरक्षित करे और बाल संरक्षण अधिकारी के द्वारा सर्वे कर घर और खेत के स्वामित्व की समीक्षा करे.

  • इस वर्ष आंगनवाड़ी भर्ती प्रक्रिया में इन महिलाओं को विशेष प्राथमिकता दी जाए.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: 18 Oct 2021,06:53 PM IST

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT