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महाराष्ट्र: इंडस्ट्री को काम करने की इजाजत,पर परेशानी में कारोबारी

मुंबई, ठाणे, नवी मुंबई के लिए अभी कोई एक्जिट प्लान नजर नहीं आ रहा

रौनक कुकड़े
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लॉकडाउन के बीच काम करने में कोरोबारियों को परेशानी हो रही है.
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लॉकडाउन के बीच काम करने में कोरोबारियों को परेशानी हो रही है.
(फोटो: क्विंट हिंदी)

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देश में कोरोना वायरस के संकट के बीच लोगों के मन में एक ही सवाल उठ रहा है कि, क्या 3 मई के बाद लॉकडाउन से राहत मिलेगी? अगर राहत मिली तो इसका दायरा क्या होगा? महाराष्ट्र में सबसे अधिक कोरोना संक्रमण के मामले हैं तो वहां सरकार का लॉकडाउन एग्जिट प्लान कैसा होगा? महाराष्ट्र में लॉकडाउन की वजह से एक महीने से ज्यादा वक्त से कंपनी बंद हैं. हालांकि, रेड जोन में नहीं आने वाले क्षेत्र में कंपनियों को काम करने की इजाजत दी गई है. लेकिन इसके बाद भी राज्य की छोटी इंडस्ट्री मुसीबत में दिख रही है.

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महाराष्ट्र में मैन्युफैक्चरिंग यूनिट की संख्या हजारों में है इस लिहाज से ये अर्थव्यवस्था पर बड़ा असर डालती है. महाराष्ट्र सरकार की नोडल एजेंसी के तौर पर काम करने वाले MIDC की दी गई जानकारी के मुताबिक,

‘दूसरे चरण के लॉकडाउन में 20 अप्रैल को जारी एडवाइजरी के अनुसार अब तक 13,400 कंपनियों ने अपना कारोबार शुरू करने की इजाजत मांगी है, जिन्हें इजाजत दे दी गई है.’

हालांकि, काम शुरू करने के लिए सरकार ने जो शर्तें रखी है उसे पूरा करना संभव नहीं दिख रहा है. MSME के लिए सरकार की पांच प्रमुख शर्तें है.

  1. इंडस्ट्री के पास मजदूरों के रहने और खाने की व्यवस्था होनी चाहिए.
  2. अगर मजदूर ग्रीन जोन में रहते हैं तो उनके परिवहन की व्यवस्था होनी चाहिए.
  3. पहले 50 प्रतिशत मजदूरों से काम लिया जाए.
  4. सोशल डिस्टेंसिंग का सख्ती से पालन किया जाए.
  5. मजूदरों की रोज स्क्रिनिंग की जाए.

सरकार की शर्तों के अलावा भी इंडस्ट्री के सामने कई मुश्किलें

नागपुर MIDC इंडस्ट्री एसोसिएशन के सदस्य शिशिर शिरिसकर का कहना है कि, इतने सभी शर्तों के साथ इंडस्ट्री को शुरू करना काफी मुश्किल है. क्योंकि, MSME इंडस्ट्री पहले ही कम मजदूरों के साथ काम कर रहा है. वर्किंग कैपिटल की कमी पर सरकार कुछ बोल नहीं रही है. इसके अलावा अगर इंडस्ट्री ने काम शुरू कर भी दे तो कंपनी को कच्चा माल उपलब्ध होगा या नहीं इसका भरोसा नहीं है. क्योंकि ये भी देखना होगा कि कच्चा माल उपलब्ध करानेवाली कंपनी अगर दूसरे राज्य से है तो क्या वह ग्रीन जोन में है, जिससे की सप्लाई शुरू हो और वह टूटे नहीं. उन्होंने कहा,

जानकारी के मुताबिक 60 प्रतिशत MSME का 65 प्रतिशत पेमेंट लार्ज और पब्लिक सेक्टर सरकारी अंडरटेकिंग कंपनियों के पास है. ऐसे में इंडस्ट्री की मांग है कि उस पैसे को जल्द रिलीज कराया जाए तो वर्किंग कैपिटल की कमी दूर हो सकती है. लेकिन केंद्र सरकार से अब तक इसके लिए आश्वासन के अलावा कुछ नहीं मिला है.

छोटे कॉन्ट्रेक्टरों को काम की इजाजत पर सामने कई समस्याएं

महाराष्ट्र सरकार ने मानसून से पहले छोटे कॉन्ट्रेक्टरों को काम पूरा करने की इजाजत दी है. लेकिन उनके सामने सरकार की शर्तें मुसीबत बनी है. अंडर ग्राउंड केबल का काम करने वाले जयदीप जो सोलपुर के रहनेवाले हैं. उनका कहना है कि सरकार भले ही काम करने की इजाजत दे रही है लेकिन ये सरकार की शर्तों के साथ संभव नहीं है. हमारा व्यवसाय 2 प्रतिशत मार्जिन पर होता है तो ऐसे में मजदूरों को रहने और खाने की व्यवस्था नहीं की जा सकती है. दूसरे गांव के लोगों को आने की इजाजत नहीं है तो ऐसे में काम नहीं हो सकता. सरकार का प्लान केवल कागजों पर अच्छा है हकीकत में इसे कर पाना संभव नहीं है.

बहरहाल, अब तक जो महाराष्ट्र सरकार ने 12 महानगर पालिका क्षेत्र छोड़कर राज्य के दूसरे इलाकों में इंडस्ट्री शुरू करने की इजाजत दी है. वहां काम का हो पाना सरकार के लॉकडाउन एग्जिट प्लान पर ही निर्भर करता है. हालांकि, सूत्रों के मुताबिक रेड जोन में अभी किसी तरह की राहत देने की उम्मीद नहीं है. ऐसे में मुंबई और MMR रीजन में लॉकडाउन का फिलहाल कोई एग्जिट प्लान नहीं दिख रहा है.

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