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महाराष्ट्र: कोरोना में कैसे हो बच्चों की पढ़ाई, एक गांव की अनोखी पहल

माणगांव पंचायत ने टीवी के जरिए घर-घर पहुंचाई गई पाठशाला

ऋत्विक भालेकर
न्यूज वीडियो
Updated:
<div class="paragraphs"><p>एक गांव की अनोखी पहल&nbsp;</p></div>
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एक गांव की अनोखी पहल 

(फोटो: क्विंट हिंदी)

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महाराष्ट्र (Maharashtra) में कोल्हापुर जिले (Kolhapur) के माणगांव ने कोरोना के संकट में शिक्षा का अनोखा प्रयोग किया है. 'हर घर में स्कूल' टैगलाइन के साथ हर घर में स्कूल पहुंचाने का काम किया है. माणगांव के सरपंच राजू मगदूम ने केबल ऑपरेटर की मदद लेकर हर घर के टेलीविजन पर पहली से दसवीं कक्षा तक के स्टूडेंट के लिए पाठ पढ़ाना शुरू किया है. इसमें गांव के बच्चों को उनकी कक्षा के हिसाब से टाइम दिया जाता है. उस समय छात्र अपने अपने घर में टेलीविजन के सामने बैठते हैं और दूसरी जगह मतलब स्कूल से टीचर अपना पाठ पढ़ाते हैं. यह सब पढ़ाई गांव में स्कूल बंद होने के कारण अब टेलीविजन के माध्यम से शुरू की गई है.

कोरोना का सामना और कितने दिन करना पड़ेगा, यह कोई बता नहीं सकता. पूरी तरह से स्कूल कब शुरू होगा यह किसी को मालूम नहीं. यह बात ध्यान में रखते हुए माणगांव के सरपंच राजू मगदूम ने गांव के सभी छात्रों को अपने घर में पढ़ाने की कोशिश शुरू की है. इसके लिए ना टेलीविजन की समस्या होगी, ना नेटवर्क की समस्या होगी. सभी घरों में टेलीविजन सेट हैं उसको लोकल चैनल के केबल से जोड़ा गया है. उसका फायदा राजू मगदूम ने गांव के बच्चों को पढ़ाने के लिए किया है.

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माणगांव में यह प्रयोग शुरू करने से पहले गांव में सैकड़ों लड़के-लड़कियों की पढ़ाई बंद हो गई थी. मोबाइल नेटवर्क से जुड़ी दिक्कतें और कइयों के पास मल्टीमीडिया मोबाइल ना होने के कारण स्कूल का ड्रॉप आउट रेट बढ़ने लगा था. लेकिन अभी घर-घर में स्कूल शुरू होने के बाद गांव में बेवजह घूमते हुए बच्चे नहीं दिखते. वह अपने घर में बैठकर स्कूल से जुड़े रहते हैं.

यह प्रयोग महाराष्ट्र के सभी छोटे छोटे गांव में अगर शुरू किया जाता है तो कोरोना की लड़ाई खत्म होने तक हम बच्चों की शिक्षा पूरी कर सकते हैं ऐसा विश्वास राजू मकदूम ने व्यक्त किया है.

टेलीविजन - केबल नहीं, उनका क्या?

लेकिन यह प्रयोग शुरू करने के लिए बहुत सारी दिक्कतों का सामना करना पड़ा. फिलहाल गांव में लगभग 1500 छात्र टीवी के माध्यम से पढ़ाई कर रहे हैं. लेकिन उनमें से 300 लोगों के घर में टेलीविजन नहीं है. बहुत सारे छात्रों के घर में टेलीविजन है लेकिन केबल नहीं है. इस पर गांव के लोगों ने हल निकाला. जिनके पास टेलीविजन नहीं है, उन्हें दूसरों के घर में बिठाने की व्यवस्था की गई है और जिनके घर में केबल नहीं है उनके घर में ग्राम पंचायत द्वारा केबल कनेक्शन दिया है. इसीलिए अभी गांव के सभी बच्चे टेलीविजन पर पढ़ाई जारी रख पा रहे हैं.

'पढ़ाई के नाम पर ऑनलाइन गेम खेलते थे बच्चे'

आज कल स्कूल में ऑनलाइन शिक्षा देना शुरु किया है. लेकिन बच्चे ऑनलाइन पढ़ाई के बहाने गेम खेलते हुए ज्यादा दिखाई दे रहे थे. माता-पिता को लगता था की बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं. लेकिन पढ़ाई कम और गेम खेलने में बच्चे ज्यादा समय बिताते थे. लेकिन अब टीवी के जरिए शिक्षा देना शुरू किया गया है तो घरवालों के सामने बच्चों की पढ़ाई हो रही है.

इनपुट - प्राजक्ता शेळके, कोल्हापूर

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Published: 19 Jul 2021,10:07 PM IST

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