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महाराष्ट्र में इस वक्त सबसे बड़ा सवाल ये है कि क्या बीजेपी बहुमत साबित कर पाएगी? पलड़ा बीजेपी का भारी है या फिर एनसीपी के साथ शिवसेना और कांग्रेस वाले गठबंधन का?
महाराष्ट्र विधानसभा में 288 विधायक हैं. लेकिन एनसीपी और बीजेपी, दोनों के दावों को देखें तो विधानसभा का ऐसा आंकड़ा सामने आएगा जो दिमाग चकरा देता है. क्योंकि दोनों के दावों को सच मान लें विधानसभा में 47 एक्स्ट्रा विधायक हो जाएंगे. बीजेपी के आशीष शेलार कह रहे हैं उनके साथ 170 विधायक हैं, उधर शिवसेना के संजय राउत कह रहे हैं उनके साथ 165 विधायक हैं. जाहिर है दोनों में से एक ही सच बोल रहे हैं.
महाराष्ट्र के सियासी महाभारत की लड़ाई एक और तर्क पर लड़ी जा रही है. शिवसेना-कांग्रेस-एनसीपी की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि 25 नवंबर को इस याचिका पर ‘उचित आदेश’ देंगे. कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से सुबह 10:30 बजे तक केंद्र से दो दस्तावेज पेश करने को कहा है.
इस बीच महाराष्ट्र में रिजॉर्ट पॉलिटिक्स भी शुरू हो गई है. शिवसेना के विधायक भी ललित होटल में है. कांग्रेस के विधायक होटल मैरिएट में हैं. एनसीपी विधायकों को होटल रेनिनांस में ठहराया गया है. एनसीपी ने अपने 41 विधायकों के हस्ताक्षर वाला पत्र विधानमंडल के नए नेता जयंत पाटिल के जरिए राज्यपाल ऑफिस को सौंपा है.
एनसीपी के मिसिंग विधायकों को लेकर भी राजनीति है. शहारपुर के शिवसेना नेता पांडुरंग वरोरा तो थाने पहुंच गए और शिकायत दर्ज कराई कि एनसीपी के विधायक दौलत दरोड़ा लापता हैं. उधर लापता विधायक अनंत पाटिल के बारे में एनसीपी ने दावा किया कि वो लौट आए हैं और शरद पवार के साथ हैं. ये तमाम लोग वो हैं जो अजित पवार के साथ बताए जा रहे थे.
कांग्रेस की भूमिका इस सब मामले में शक पैदा कर रही है. शनिवार को शरद पवार और शिवसेना की साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस में कांग्रेस शामिल नहीं थी. पार्टी ने अब तक अपना विधानमंडल का नेता तक नहीं चुना है. सवाल ये है कि नतीजा आए एक महीना बीत जाने के बाद भी ऐसा क्यूं? वहीं शिवसेना के साथ सरकार बनाने को लेकर अब भी कोई अधिकारिक फैसला कांग्रेस क्यों नहीं कर पाई है?
अजित ने एक ट्वीट में लिखा है कि बधाई के लिए शुक्रिया पीएम मोदी. हम महाराष्ट्र की जनता की भलाई के लिए स्थाई सरकार देंगे.
डिप्टी सीएम बनने पर बधाई देने वाले दूसरे दिग्गज बीजेपी नेताओं के ट्वीट पर भी अजित यही बात लिखी. कुल मिलाकर महाराष्ट्र की राजनीति एक दोराहे पर आकर ठिठक गई है...
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