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महाराष्ट्र में गठबंधन को लेकर बड़ी उठापटक है. बीजेपी के एनडीए गठबंधन में शिवसेना रहेगी या नहीं इस पर कंफ्यूजन है. लेकिन राज ठाकरे की MNS ने कांग्रेस का प्यार पाने की कोशिश में पूरा जोर लगा दिया है. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने राफेल डील पर पीएम नरेंद्र मोदी पर जो हमला किया है उन्हीं तेवरों के साथ MNS ने भी उनका समर्थन किया है. एमएनएस ने देश के ‘चौकीदार’ पर सवाल उठाए.
NCP सुप्रीमो शरद पवार के रुख के ठीक उलट MNS ने राहुल गांधी के मोदी विरोधी एजेंडे का पूरा समर्थन करके साफ संकेत दिए हैं कि वो कांग्रेस गठबंधन का हिस्सा बनना चाहती है. मुंबई में 2 अक्टूबर को MNS कार्यकर्ताओ ने अपने हाथ पर देश का चौकीदार चोर है तक गुदवा लिया
दरअसल, ये बात किसी से छिपी नहीं है कि 2014 के लोकसभा चुनाव में राज ठाकरे ने नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद के लिए बिना मांगे अपना समर्थन दिया था लेकिन साल भर के भीतर ही उनका मोदी से मोह भंग हो गया. राज ठाकरे के फेसबुक पेज पर पोस्ट किये अधिकतर कार्टूनों में प्रधानमंत्री मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह पर ही हमला किया गया है. जबकि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के लिए उनका सॉफ्ट कॉर्नर साफ दिख रहा है.
महाराष्ट्र में कांग्रेस की सहयोगी NCP भी राज ठाकरे की पार्टी को कांग्रेस-NCP गठबंधन का हिस्सा बनाना चाहती है. लेकिन कांग्रेस ने अब तक इस प्रस्ताव को खास तरजीह नहीं दी है. इस बारे में जब मैंने कांग्रेस के बड़े नेताओं से बात की तो उन्होंने बताया कि 2019 के चुनाव में कांग्रेस उन्ही दलों को साथ लेना चाहती है जो उसकी विचारधारा से मेल खाते हैं.
ऐसे में MNS को सीधे तौर पर साथ लेना तो अभी मुश्किल है पर किसी तरह के दोस्ताना गठजोड़ पर विचार किया जा सकता है. खासतौर पर शरद पवार ने जिस तरह से पीएम मोदी के लिए नरमी दिखाई है उसे देखते हुए राज ठाकरे की पार्टी के दोस्ताना रुख की अनदेखी करना कांग्रेस के लिए काफी मुश्किल होगा.
मुंबई, ठाणे, कोकण और नाशिक की करीब 68 सीटों पर MNS का असर माना जाता है. शरद पवार को लगता है कि MNS को साथ लेने से शिवसेना के वोटों का बंटवारा किया जा सकता है. इसका फायदा कई सीटों पर होगा. NCP भी अच्छी तरह जानती है कि पार्टी की स्थापना होने के बाद से मुंबई में वो अब तक अपनी संगठन को कुछ खास मजबूत नहीं कर सकी है.
कांग्रेस और MNS का सीधे साथ आना फिलहाल मुश्किल लग रहा है, क्योंकि राज ठाकरे की पार्टी उत्तर भारतीय विरोधी रही है. लेकिन NCP के साथ समझौते के तहत राज ठाकरे यूपीए का हिस्सा बन सकते हैं. इससे मुंबई और कोकण के इलाकों में UPA को फायदा मिल सकता है.
बाल ठाकरे के हावभाव और अंदाज पर बोलने वाले राज ठाकरे की मराठी भाषियों में अच्छी पकड़ है. लेकिन उनके यही तेवर उनके लिए परेशानी भी हैं क्योंकि इससे कांग्रेस खुलेआम हाथ मिलाने से कतरा रही है.
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