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Tokyo Olympics: कभी ट्रैक सूट खरीदना कठिन था, अब ओलंपिक जा रहीं लवलीना

बॉक्सर लवलीना बोरगोहेन की संघर्ष की कहानी

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<div class="paragraphs"><p>Tokyo Olympics 2021 जा रहीं लवलीना</p></div>
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Tokyo Olympics 2021 जा रहीं लवलीना

(फोटो: PTI)

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टोक्यो ओलंपिक्स 2021 में बॉक्सिंग में देश की तरफ से दावेदार, अर्जुन अवार्ड विजेता लवलीना बोरगोहेन (2 अक्टूबर 1997) को बचपन से बॉक्सिंग का शौक था. वो कहती हैं कि- घर में हम तीन लड़कियां हैं, हर कोई कहता रहता था कि लड़कियां कुछ नहीं कर सकतीं. जब हम छोटे थे तब से हमें मां सिखाती आई हैं कि हमें कुछ बड़ा सोचना चाहिए, करना चाहिए.’

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एक बार पिताजी हम सभी के लिए मिठाई लेकर आए थे, उस पर न्यूज पेपर चारों तरफ लगा था. मैंने तब वहां मुहम्मद अली के बारे में पढ़ा और फिर मेरे पिताजी ने मुझे उनकी कहानी सुनाई और इस तरह से मैंने बॉक्सिंग के बारे में पहली बार सुना और पढ़ा.
लवलीना बोरगोहेन, बॉक्सर

लवलीना के पिता का कहना है कि लवलीना काफी मुश्किलों से लड़कर आगे बढ़ी हैं. वो बताते हैं कि उनकी तनख्वाह मात्र 1300 रुपये होती थी और उनके लिए घर चलाना बहुत मुश्किल था.

शुरुआत में उसके (लवलीना) के पास ट्रैकसूट भी नहीं था, लेकिन लवलीना ने कभी मुझे शिकायत नहीं की, न ही किसी और चीज की मांग की.
तिकेन बोरगोहेन, लवलीना के पिता

लवलीना जब 9वीं क्लास में थीं तब ही स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (SAI) ने उनके प्रतिभा को पहचाना और उन्हें आगे बढ़ने में मदद की. लवलीना बताती हैं कि उनके गृहक्षेत्र में सिर्फ वहीं थीं जो मार्शल आर्ट्स में थीं. जिसके बाद उनके कोच उन्हें गुवाहाटी ले गए और SAI में ट्रेनिंग लेने के लिए प्रेरित किया.

लवलीना का सपना है कि टोक्यो ओलंपिक्स 2021 में बेहतरीन प्रदर्शन करें और देश के लिए गोल्ड मेडल जीतें. वो कहती हैं कि ‘बॉक्सिंग (ओलंपिक्स) में भारत ने गोल्ड नहीं जीता है, अगर मैं ये मेडल जीतती हूं, तो ये मेरे लिए, मेरे परिवार के लिए और मेरे देश के लिए एक बड़ी जीत होगी.

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