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‘फ्रस्टियायो नहीं मूरा
नर्भसाओ नहीं मूरा’
अगर आपने 'गैंग्स ऑफ वासेपुर 2' देखी है तो आपको याद होगा जब हुमा कुरैशी जिन्होंने मोहसिना का किरदार निभाया था और वो फैजल को सांत्वना देती है तो 'मूरा' गाना गाती हैं. ये गाना इंग्लिश और भोजपुरी से मिलकर बना है. 'मूरा' वरुण ग्रोवर ने लिखा और कंपोज किया स्नेहा खानवलकर ने. इस गाने के दो वर्जन हैं. एक गाना स्नेहा ने खुद गाया है तो दूसरा बिहार के 14 साल के दीपक ठाकुर ने.
कई शादियों में दीपक गाने के लिए एक मौका तलाशते रहते थे, कई बार तो वो दूसरों की साइकिल पर मीलों चले जाया करते थे वो भी ताकि उन्हें कोई पहचान मिले. जागरण में अगर मौका मिल जाता था तो उनके लिए ये किसी जैकपॉट से कम नहीं होता था.
बिहार में मुज्जफरपुर के छोटे से गांव में दीपक का जन्म हुआ.
2013 में बिहार में आई बाढ़ से काफी घर तबाह हो गए थे. दीपक के परिवार ने भी अपना घर खो दिया था. दीपक के गांव ने अब तक पक्की सड़क नहीं देखी. गांव में बिजली भी ठीक तरह से नहीं आती. लेकिन गांव को जो चीज जोड़े रखती है वो है नाव. अतहर में किसी भी तरह के अवसर को न देख पाने से दीपक मुज्जफरपुर आकर बस गए और वहीं अपनी संगीत की शिक्षा ली. ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’ की म्यूजिक डायरेक्टर ने उन्हें अपने सफर में सुना.
जब फिल्म रिलीज हुई तो दीपक मुज्जफरपुर के स्टार बन गए. लेकिन दीपक के म्यूजिक करियर ने कोई करवट नहीं ली यानी, अगले सात साल तक उन्हें गाने का कोई भी ऑफर नहीं मिला.
दीपक ठाकुर की इंस्टाग्राम प्रोफाइल
दीपक कहते हैं कि, ‘मुझे याद है 15 नवम्बर को दोपहर 1:30 बजे हमने(अनुराग के साथ) 3 मिनट 48 सेकंड तक बात की. उन्होंने मेरे बारे में पूछा कि मैं आजकल क्या करता हूं. मैंने उन्हें बताया कि मैं MBA कर रहा था लेकिन पैसों की कमी के चलते बीच में ही छोड़ दिया. और अब घर पर ही हूं. उन्होंने उन्होंने कहा कि, 'मौका मेरे गेट पर खड़े हैं, लेकिन मैं दूसरी तरफ देख रहा हूं’
जिसके बाद दीपक ने अनुराग की फिल्म ‘मुक्काबाज’ के लिए गाना गाया.
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