Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Videos Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News videos  Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019जमीन नहीं मिलेगी तो क्या आसमान में दौड़ेगी बुलेट ट्रेन?

जमीन नहीं मिलेगी तो क्या आसमान में दौड़ेगी बुलेट ट्रेन?

गुजरात में बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट की तैयारी तो जमकर हो रही है लेकिन किसानों के विरोध की वजह से मामला अटक रहा है.

राहुल नायर
न्यूज वीडियो
Published:
जापान में बुलेट ट्रेन परियोजना का मुआयना करने के दौरान  जापानी के पीएम शिंजे आबे और मोदी 
i
जापान में बुलेट ट्रेन परियोजना का मुआयना करने के दौरान  जापानी के पीएम शिंजे आबे और मोदी 
फोटो - द क्विंट 

advertisement

सितंबर 2017 में पीएम मोदी ने जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे के इंडिया टूर में प्रधानमंत्री मोदी ने उनके साथ मिलकर भारत के बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट की नींव रखी थी. जब शिंजो आबे भारत दौरे पर थे तो पीएम मोदी की उत्सुक्ता देखते ही बनती थी. हालांकि बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट मुंबई-अहमदाबाद के बीच होगी. यानी ये दो राज्यों का जॉइंट प्रोजेक्ट होगा.

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

अरबों का ये रेल प्रोजेक्ट भारत के यातायात सिस्टम को एक नए पायदान पर पहुंचायेगा. ये हाई स्पीड बुलेट ट्रेन मुंबई और अहमदाबाद की 508 किलो मीटर की दुरी कुछ ही घंटो में तय करेगी. इतने बड़े प्रोजेक्ट की नीव भी रखी जा चुकी है जिसके लिए काफी जमीन की जरूरत होगी. लेकिन जमीनी स्तर पर ये चीजें इतनी भी आसान नहीं दिख रही हैं.

गुजरात में बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट की तैयारी तो जमकर हो रही है लेकिन किसानों के विरोध की वजह से मामला अटक रहा है. किसानों को मिलने वाले मुआवजे को लेकर हालात साफ नहीं है. नतीजतन अब तक एक एकड़ जमीन का भी अधिग्रहण नहीं हो सका है. 

टारगेट से पिछड़ता देख राज्य सरकार इस कमी को जल्द से जल्द पूरा करना चाहती है. इसके लिए राज्य सरकार किसान और जमीन के मालिकों को बहुत कम समय का नोटिस दे कर जमीन लेना चाहती है. गुजरात सरकार की जल्दबाजी से प्रदेश के लोग काफी परेशानी में हैं. किसानों का कहना है कि सरकार ने न तो उन्हें मुआवजे की जानकारी दी है न ही कोई नोटिस दिया है जिसमे इसकी बात कही गयी हो.

एक प्रोजेक्ट, दो कानून

'हाई स्पीड रेल कोरिडोर' दो राज्यों का प्रोजेक्ट है लिहाजा भूमि अदिग्रहण अभियान 2013 के तहत इसकी जिम्मेदारी केंद्र के पास है.

सूरत के पर्यावरण कार्यकर्ता कृष्णकांत चाऊ गुजरात के किसानों की मदद कर रहे हैं जिन्हें इस प्रोजेक्ट को लेकर अपनी जमीन के लिए काफी परेशानी उठानी पड़ रही है. उनका कहना है कि,

गुजरात के नियम कैसे लगा सकते हैं? महाराष्ट्र भी अपने नियम नहीं लगा सकता है. केंद्र का कानून लागू होना चाहिए जिसके मुताबिक सामाजिक असर की स्टडी होनी चाहिए

इस मामले में क्विंट ने आर्केडीस इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के सदस्य द्वैपायन दत्ता से बात की है जो नेशनल हाई स्पीड रेल कॉर्पोरशन से गुजरात के भूमि अधिग्रहण की प्रोसेस के सलाहकार हैं.

‘जी हां हम गुजरात के भूमि अधिग्रहण अभयान 2016 के तहत राज्य में काम कर रहे हैं. NHSRCL की तरफ से  यह आदेश है. अगर NHSRCL हमें भूमि अधिग्रहण अभियान 2013 के तहत जमीन लेने का आदेश देता है तो हम उसके तहत जमीन लेंगे. हम तो सिर्फ सलाहकार हैं, हम वैसे ही काम करेंगे जैसा NHSRCL हमें आदेश देगा.

क्विंट ने NHSRCL के प्रवक्ता धनंजय कुमार से बात कि है जिनका कहना है कि इस प्रोजेक्ट में दोनों ही कानून लागू हो सकते हैं

मुआवजे की जानकारी नहीं

धनंजय ने कहा कि जिन लोगों की जमीन ली जा रही है उन्हें जमीन के लिए सही मुवाजा दिया जायेगा. हालांकि उन्होंने माना है कि लोगों तक ये सूचना ठीक तरीके से नहीं पहुंच पाई है.

मैं मानता हूं कि किसानों और जमीन के मालिकों तक सूचना ठीक तरीके से नहीं पहुंच पाई है और उनकी नाराजगी सही है. हम इस स्थिति को सुधारेंगे और उन्हें मुआवजे की पूरी जानकारी दी जाएगी जिससे वो सरकार को जमीन देने को राजी हो जाएंगे.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: undefined

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT