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वीडियो एडिटर: आशुतोष भारद्वाज
'अगर आप (BHU के छात्र) मुझे एक मौका दें तो शायद आपको प्रदर्शन करने की जरूरत नहीं पढ़ेगी'
28 साल के फ़िरोज़ खान राजस्थान के जयपुर से हैं. 7 नवंबर को वाराणसी आने के बाद वो बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी (BHU) में संस्कृत के असिस्टेंट प्रोफेसर के तौर पर ज्वाइनिंग के लिए तैयार थे. BHU आए फ़िरोज़ को एक दिन भी नहीं हुआ था और जल्द ही BHU में पढ़ाने की उनकी इच्छा घबराहट में बदल गई.
जैसे ही 6 नवंबर को फ़िरोज़ को अप्वाइंटमेंट लेटर मिला, BHU के कुछ छात्र और ABVP के सदस्यों ने फ़िरोज़ के खिलाफ प्रदर्शन शुरू कर दिया. वो मांग करने लगे कि 'जिस तरह एक हिन्दू मदरसे में नहीं पढ़ा सकता, उसी तरह एक मुसलमान गुरुकुल में नहीं पढ़ा सकता'
प्रदर्शन के बाद से डिपार्टमेंट फिलहाल बंद है. फ़िरोज़ अब तक एक भी क्लास नहीं ले पाए हैं लेकिन उन्हें उम्मीद है कि ये स्थिति जल्द सुधरेगी और छात्र उनसे पढ़ने जल्द ही आएंगे.
क्विंट से खास बातचीत में फ़िरोज़ ने अपनी लोकेशन साझा करने से इनकार किया. उन्होंने उम्मीद जताई कि ये बवाल जल्द ही खत्म हो जाएगा. वो कहते हैं,
BHU प्रशासन लगातार इस बात से इनकार करता आ रहा है कि यूनिवर्सिटी में किसी तरह का भेदभाव नहीं किया जाता है और न ही उन्होंने फ़िरोज़ खान को धर्म के आधार पर नौकरी दी.
हालांकि BHU के ही कुछ छात्र फ़िरोज़ खान के समर्थन में भी आए हैं. आकांक्षा आज़ाद पॉलिटिकल साइंस में BHU से मास्टर्स की पढ़ाई कर रही हैं. वो कहती हैं- “ये प्रदर्शन बिलकुल गलत है. छात्र ये नहीं सोच रहे हैं कि वो क्या कर रहे हैं. वो ये नहीं देख पा रहे हैं कि उनमें मुसलमानों को लेकर किस तरह से नफरत भर रही है और प्रदर्शन के रूप में बाहर आ रही है.”
वहीं समाजशास्त्र की पढ़ाई कर रहे शास्वत उपाध्याय का मानना है कि ये प्रदर्शन फिजूल का है. वो कहते हैं, - “ये छात्र जो कह रहे हैं कि इन्हें दूसरे धर्म के टीचर से नहीं पढ़ना. मुझे इसका लॉजिक समझ नहीं आ रहा है.”
प्रियेश पांडे BHU से कंफ्लिक्ट मैनेजमेंट एंड डेवलपमेंट की पढ़ाई कर रहे हैं. उनका मानना है कि ‘ये प्रदर्शन राजनीति से प्रेरित है.’
प्रदर्शन अभी भी जारी है. खान जो BHU में संस्कृत पढ़ाने का सपना लेकर आए थे उन्हें ये नहीं पता कि कब हालात बदलेंगे और क्या वो पढ़ाने जा पाएंगे या नहीं.
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