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बीते कुछ समय से महाराष्ट्र, मराठा आरक्षण से जुड़े आंदोलनों की आग में धधक रहा है. क्विंट हिंदी के खास कार्यक्रम राजपथ में एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार ने मराठा आरक्षण के मुद्दे पर खुलकर बात की. पवार के मुताबिक आरक्षण की मांग गलत नहीं बस देखना होगा कि किसे इसकी वाकई जरूरत है, किसे नहीं.
मराठा आरक्षण के मुद्दे से हम क्या समझें? बीजेपी चाहेगी कि हम दे दें और क्रेडिट हमें मिल जाए. आंदोलन समुदाय ने खड़ा किया है. जो हम लोग बाहर से देखते हैं, महाराष्ट्र से बाहर वाले, उनको लगता है कि सबसे अच्छा, संसाधन संपन्न समुदाय आरक्षण क्यों मांग रहा है?
लोगों को ठीक तरह से महाराष्ट्र की सामाजिक स्थिति मालूम नहीं है. ये बात सच है कि राजनीति में कई जगह पर मराठा समुदाय के लोग जगह-जगह पर हैं. कोई भी पार्टी हो मगर पूरी तस्वीर आप देखेंगे तो महाराष्ट्र में एक बात बहुत गंभीर है- किसानों की आत्महत्या. किसानों की आत्महत्या में मराठवाड़ा और विदर्भ का इलाका आगे है.
पवार यही नहीं रुकते. वो आगे जोड़ते हैं, “50% के आसपास जो किसान आत्महत्या करते हैं उसमें मराठा हैं. जिनके पास दो एकड़ से कम जमीन है- उसमें 28% मराठा हैं. जिनके पास दो से पांच एकड़ तक की जमीन है, उसमें 50% मराठा हैं, 10 एकड़ से नीचे वाले भी 50% मराठा हैं और इनमें 60% खेती को पानी ठीक से नहीं मिलता उनकी खेती बारिश पर निर्भर करती है. इस सबका असर ये हुआ है कि वहां गरीबी है. नौजवान लड़के जो काॅलेज में पढ़ते थे. उन्हें अपनी पढ़ाई छोड़नी पड़ी. कुछ लोग आत्महत्या तक चले गए.”
क्विंट के एडिटोरियल डायरेक्टर संजय पुगलिया के साथ बातचीत में एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार ने कहा कि वो बुनियादी तौर पर आरक्षण के विरोध में नहीं हैं लेकिन साथ ही वो ये बताना भी नहीं भूले कि नए आरक्षण से अभी मिल रहे संवैधानिक आरक्षण पर आंच नहीं आनी चाहिए. पवार के मुताबिक, आरक्षण का दायरा अगर बढ़ाना है तो वो क्रीमी लेयर के तहत ही करना होगा. जिसे जरूरत है, सिर्फ उसे ही आरक्षण मिलना चाहिए.
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