निर्भया के गुनहगारों को 22 जनवरी को फांसी पक्की नहीं

आखिरकार, निर्भया गैंगरेप और मर्डर के चार दोषियों को फांसी पर लटकाए जाने की तारीख तय हो गई है.

अभय कुमार सिंह
न्यूज वीडियो
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निर्भया के गुनहगारों को 22 फरवरी को फांसी पक्की नहीं
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निर्भया के गुनहगारों को 22 फरवरी को फांसी पक्की नहीं
(फोटो: अर्निका काला/ द क्विंट)

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वीडियो एडिटर: अभिषेक शर्मा

आखिरकार, निर्भया गैंगरेप और मर्डर के चार दोषियों को फांसी पर लटकाए जाने की तारीख तय हो गई है. 7 साल बाद ये फैसला आया है... चारों दोषियों मुकेश, विनय शर्मा, अक्षय सिंह और पवन गुप्ता को 22 जनवरी को सुबह 7 बजे तिहाड़ जेल में फांसी पर लटकाने का फैसला आया है. चारों दोषियों का डेथ वारंट जारी होने के बाद निर्भया की मां ने कहा कि ये दिन हमारे लिए एक बेहद बड़ा दिन है. उन्होंने कहा, आज मेरी बेटी को इंसाफ मिला है. चारों दोषियों को फांसी होने से देश में महिलाओं को ताकत मिलेगी. ये फैसला लोगों के मन में न्यायिक प्रणाली के लिए एक भरोसा भी पैदा करेगा.

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अब चारों दोषियों पर फैसला तो आ गया है, लेकिन अब भी गुनहगारों की गर्दन और फांसी के फंदे के बीच कई कानूनी पेंच हैं.

फैसला तो आ गया लेकिन 22 जनवरी को जरूरी नहीं फांसी!

चारों दोषियों के पास अब भी एक विकल्प बाकी है. फैसले के बाद दोषी क्यूरेटिव पिटीशन दायर कर सकते हैं. बता दें कि चारों दोषियों का डेथ वारंट जारी करने की सुनवाई को इससे पहले इसलिए टाल दिया गया था, क्योंकि कोर्ट का कहना था कि उन्हें दया याचिका दायर करने का वक्त दिया जाना चाहिए. 18 दिसंबर को कोर्ट ने तिहाड़ जेल प्रशासन को कहा था कि दोषियों को दया याचिका दायर करने के लिए नोटिस जारी किया जाए. इसके बाद ये सुनवाई 7 जनवरी तक के लिए स्थगित कर दी गई थी.

कोर्ट के आदेश के बाद तिहाड़ जेल प्रशासन की तरफ से चारों दोषियों को एक नोटिस जारी किया गया था, जिसमें कहा गया था कि सात दिन के भीतर सभी अपनी दया याचिका दायर करें. जेल अधिकारी ने इसे लेकर कहा था, अगर दोषी दिए हुए समय के अंदर दया याचिका दायर नहीं करते हैं तो हम संबंधित अदालत में रिपोर्ट दाखिल करेंगे. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट पहले ही सभी दोषियों की पुनर्विचार याचिका खारिज कर चुका है.

क्यूरेटिव पिटीशन क्या है?

न्याय व्यवस्था में क्यूरेटिव पिटीशन का रास्ता इसलिए दिया गया है ताकि किसी के साथ अन्याय न हो. क्यूरेटिव पिटीशन पर सुनवाई जज के चैंबर में होती है. क्यूरेटिव पिटीशन पर सुनवाई रूपा अशोक हुर्रा बनाम अशोक हुर्रा 2002 केस के आधार पर होती है.

बता दें कि 16 दिसंबर 2012 की रात 23 साल की पैरामेडिकल छात्रा (निर्भया) के साथ चलती बस में गैंगरेप हुआ था और उसे चलती बस से बाहर फेंक दिया था. 9 दिसंबर, 2012 को सिंगापुर के एक अस्पताल में निर्भया की मौत हो गई थी. इस मामले ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था.

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Published: 07 Jan 2020,10:45 PM IST

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