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वीडियो एडिटर: दीप्ति रामदास
104 साल के चंद्रधर दास (Chandradhar Das) को 2018 में फॉरेनर्स ट्रिब्यूनल (Foreign Tribunals) ने विदेशी घोषित किया जिसके बाद उन्होंने तीन महीने डिटेंशन कैंप (Detention Camp) में गुजारे, उनकी बेटी नियति राय कहती हैं, 'CAA के बाद, हमने सोचा कि आखिरकार हम अपनी नागरिकता (Citizenship) खोने के डर के बिना रह सकते हैं, लेकिन पिछले एक साल में कुछ भी नहीं बदला है. मेरे पिता नरेंद्र मोदी सरकार (Modi Govt.) को पसंद करते हैं, हम खुश थे कि मोदी सरकार आखिरकार हमारे बचाव में आ गई है, लेकिन हमें अभी तक कोई फायदा नहीं हुआ.
चाहे कुछ भी हो जाए 70 साल की सुलेखा दास को उदार्बोंद पुलिस थाने जाकर हर बुधवार को हाजरी लगानी पड़ती है. अगर ऐसा नहीं होता है तो उन्हें तुरंत डिटेंशन कैंप भेज दिया जायेगा. सिलचर के डिटेंशन कैंप से मई 2020 में बाहर आने के बाद उनके लिए थाने जाना हमेशा का काम हो गया.
सुलेखा दास और उनके पति का नाम 1965 की वोटर लिस्ट में है, उसके बाद भी उन्हें डी-वोटर घोषित कर दिया गया, उनका और उनके पति का नाम NRC लिस्ट से भी बाहर है.
मई 2018 में सुलेखा दस को उदार्बोंद पुलिस थाने में NRC वेरिफिकेशन के लिए बुलाया गया. लेकिन पुलिस ने उन्हें सीधे सिलचर सेंट्रल जेल में बने डिटेंशन कैंप में भेज दिया, उनके परिवार को बताया गया कि वो फॉरेन ट्रिब्यूनल के तीन नोटिस का जवाब नहीं दे पाई हैं, उसके बाद एकपक्षीय फैसले में उन्हें विदेशी घोषित कर दिया गया.
सुलेखा दास कहती हैं- ‘चुनाव के वक्त हमें नेताओं ने आकर कहा कि वो हमें नागरिकता दिलवाएंगे लेकिन अभी तक कुछ नहीं हुआ, CAA बनने के बाद भी हर हफ्ते हमें पुलिस थाने जाना पड़ता है, नियम का नोटिफिकेशन जारी नहीं होने के कारण, CAA अभी तक लागू नहीं किया गया है’
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