PM मोदी के 20 लाख करोड़ के राहत पैकेज के अंदर क्या है?

पीएम मोदी ने कई सेक्टर्स के लिए किया बड़े राहत पैकेज का ऐलान

संजय पुगलिया
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पीएम मोदी ने कई सेक्टर्स के लिए किया बड़े राहत पैकेज का ऐलान
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पीएम मोदी ने कई सेक्टर्स के लिए किया बड़े राहत पैकेज का ऐलान
(फोटो: क्विंट हिंदी)

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र के नाम संबोधन में 20 लाख करोड़ रुपये के पैकेज का ऐलान किया है. उन्होंने कहा कि वित्तमंत्री आने वाले दिनों में इस पैकेज को लेकर जानकारी देंगी कि भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए हम क्या करने जा रहे हैं और हमारी क्या योजना है. 20 लाख करोड़ का आर्थिक पैकेज जीडीपी का 10 परसेंट है. यानि जर्मनी जो अभी पैकेज दिया है लगभग उसी के बराबर है. इस पूरे पैकेज का गणित समझने की कोशिश करेंगे.

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लेकिन पीएम मोदी ने आर्थिक पैकेज के अलावा एक दूसरी बड़ी बात कही, जिसका हमारी-आपकी जिंदगी पर असर होगा. वो है लॉकडाउन के चौथे चरण का ऐलान. पीएम ने कहा कि इसका रंग-रूप और नए नियम नए होंगे. इसका मतलब लॉकडाउन जारी रहेगा, हो सकता है कि चौथे के बाद पांचवा लॉकडाउन भी आए. क्योंकि संक्रमण तेजी से बढ़ रहा है..

इकनॉमी को खोलने की अब तैयारी हो चुकी है. इसके लिए अब सिर्फ कंटेनमेंट जोन पर ज्यादा फोकस होगा. पब्लिक ट्रांसपोर्ट खोलने में ज्यादा तेजी नहीं दिखाई जाएगी. ज्यादातर मुख्यमंत्रियों ने भी पीएम से यही कहा कि अगर लॉकडाउन बढ़ाया जाता है तो वो उनके साथ हैं. हालांकि इसके कारण इकनॉमी को नुकसान पहुंच रहा है

कैसा होगा राहत पैकेज का क्रम?

अब आर्थिक पैकेज को समझ लेते हैं. हमने कुछ दिन पहले मनीष सबरवाल जो कि आरबीआई बोर्ड में भी हैं, उनसे बातचीत की थी. उन्होंने बताया था कि इस पैकेज का सीक्वेंस पहले गरीब, फिर मिडिल क्लास, उसके बाद एमएसएमई, फिर बड़े बिजनेस और उसके बाद फाइनेंशियल सिस्टम्स की तरह होगा. हालांकि पीएम ने एक बड़ा नंबर देकर उस पर अपनी मुहर लगा दी है. जो उनका स्टाइल है कि किसी भी चीज को करने पर उसे बहुत बड़ा बनाकर बता दो.

अब 20 लाख करोड़ का मतलब समझिए, अगर इस गणित को लें कि दो तिहाई पैसा जो पहले से ही बजट में है वो रहेगा और एक तिहाई पैसा सरकार को चाहिए होगा. तो इसका मतलब ये हुआ कि पूरे 20 लाख करोड़ में से करीब 7 लाख करोड़ रुपये नए होंगे और बाकी के पैसे रीपरपस होंगे.

इस सरकार में हमेशा फिसकल डेफसिट पर ध्यान ज्यादा रहता है कि सरकारी खजाने का घाटा ज्यादा नहीं बढ़ना चाहिए. तो कुल 6-7 लाख करोड़ में से 3-4 लाख करोड़ रुपये सरकार खुद के फ्रेश कर्जे लेकर कर सकती है, बाकी पैसों का इंतजाम वो डायरेक्ट तरीके से कर सकती है. जैसे कि अभी क्रूड के दाम घटने के कारण सरकार ने टैक्स बढ़ा दिए, तो टैक्स से रेवेन्यू मिल ही रहा है. इसी तरह से कोई और तरीका ले आएंगे.

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