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30 दिन से समंदर में फंसे 160 रोहिंग्या शरणार्थी कर रहे मदद का इंतजार

पुरुष, महिलाएं और बच्चे... भूखे अपनी जिंदगी के लिए संघर्ष कर रहे हैं.

मेघनाद बोस
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<div class="paragraphs"><p>30 दिन से समंदर में फंसे 160 रोहिंग्या शरणार्थी कर रहे मदद का इंतजार</p></div>
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30 दिन से समंदर में फंसे 160 रोहिंग्या शरणार्थी कर रहे मदद का इंतजार

(फोटो: Quint Hind)

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प्रोड्यूसर: मेघनाद बोस

वीडियो एडिटर: मेघनाद बोस, प्रज्वल कुमार

25 नवंबर को, 160 से ज्यादा रोहिंग्या शरणार्थियों को लेकर एक नाव बांग्लादेश के कॉक्स बाजार से मलेशिया के लिए रवाना हुई. 1 दिसंबर को नाव के इंजन में खराबी आ गई और वो अंडमान समंदर में कहीं बह गई. 30 दिन से ज्यादा हो गए हैं, लेकिन नाव तट पर नहीं पहुंच पाई है – पुरुष, महिलाएं और बच्चे... भूखे अपनी जिंदगी के लिए संघर्ष कर रहे हैं.

कई कोशिशों के बाद, 18 दिसंबर को Rezuwan Khan नाव के कैप्टन से बात करने में सफल रहे. उनकी 28 साल की बहन Khatemonesa और उनकी पांच साल की बेटी Umme Salima उस नाव पर हैं. खान बांग्लादेश के एक शरणार्थी शिविर में रहते हैं.

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फोन कॉल में, जिसकी रिकॉर्डिंग क्विंट ने एक्सेस की है, सुना जा सकता है कि खान, कैप्टन को अपना फोन चालू रखने को बोल रहे हैं, ताकि रोहिंग्या शरणार्थियों द्वारा इंडोनेशिया से भेजी गई रेस्क्यू नाव उनकी लोकेशनका पता लगा सकें.

परेशान कैप्टन कहता है, "हमने 8-10 दिन से कुछ नहीं खाया है. हम भूख से मर रहे हैं. तीन लोगों की मौत हो गई है."

खान ने भारतीय अधिकारियों को टैग करते हुए और उनसे मदद की गुहार लगाते हुए ट्वीट भी किया.

16 दिसंबर को, निर्वासित म्यांमार सरकार ने एक बयान जारी किया, जिसमें कहा गया था कि कम से कम तीन ऐसी नावें नवंबर के अंत में बांग्लादेश से रवाना हुई थीं.

उनमें से एक नाव को ऑफशोर वियतनामी कंपनी द्वारा रोक दिया गया था, और नाव पर सवार लोगों को म्यांमार में उस सैन्य जुंटा को सौंप दिया गया, जिनसे वो बचने की कोशिश में थे.

दूसरी नाव श्रीलंकाई नौसेना द्वारा हिंद महासागर में भटकते हुए पाई गई. जहाज पर सवार 104 शरणार्थियों को फर्स्ट एड दिया गया और फिर पुलिस को सौंप दिया गया.

तीसरी नाव भी भारत के समुद्री इलाके में है, और रेस्क्यू होने की उम्मीद कर रही है.

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