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"महाराष्ट्र की महाविकास अघाड़ी सरकार गिराने के लिए बीजेपी का मुझ पर भारी दबाव है और ED का इस्तेमाल मेरे खिलाफ किया जा रहा है." ये कहना है शिवसेना सांसद संजय राउत का. जिनकी पत्नी वर्षा राउत को प्रवर्तन निदेशालय (ED) की तरफ से नोटिस भेजा गया है. वर्षा राउत को ईडी ने 29 दिसंबर को पूछताछ के लिए बुलाया है. लेकिन संजय राउत ने नोटिस मिलने से इनकार किया है.
अब महाराष्ट्र की सियासत में ईडी के इस नए नोटिस के क्या मायने हैं? इससे पहले ED की तरफ से शरद पवार समेत तमाम नेताओं को भेजे गए नोटिस का आखिर हुआ क्या? साथ ही शिवसेना और संजय राउत का अगला कदम क्या होगा. इसे समझते हैं.
पत्नी को नोटिस भेजे जाने के मामले में संजय राउत ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि पिछले कुछ महीनों से, 3 बीजेपी नेता लगातार ईडी कार्यालय जाते हैं और दस्तावेज इकट्ठा करते हैं. मेरे पास इस बात का सबूत है. बीजेपी को कैसे पता चलता है कि ईडी क्या जांच कर रही है, क्या वो एक-दूसरे के साथ गठबंधन में हैं?अभी इधर वो प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहे थे दूसरी तरफ ईडी के ऑफिस पर शिवसैनिकों ने बीजेपी कार्यालय का पोस्टर चिपका दिया.
इस पूरी उठा पटक में समझना होगा कि अगर संजय राउत का दावा सही है तो वो ही निशाना क्यों बनाए गए? दरअसल , संजय राउत सिर्फ शिवसेना के सांसद या नेता ही नहीं बल्कि शिवसेना के मुखपत्र सामना के संपादक भी हैं.
साथ ही महाराष्ट्र में MVA सरकार बनाने में संजय राउत की अहम भूमिका रही है. शरद पवार के जरिये उन्होंने शिवसेना जैसी फंडामेंटलिस्ट पार्टी को लिबरल मानी जाने वाली कांग्रेस और एनसीपी के साथ पिछले एक साल से जोड़ रखा है. ऐसे में सरकार को मुसीबत में लाना है तो राउत पर दबाव बनाना जरूरी है. शायद यही वजह है कि 12 साल पुराने मामले में अब संजय राउत की पत्नी का नाम सामने आया है.
अब शिवसेना का जवाब क्या होगा? इसकी हल्की-फुल्की झलक संजय राउत और शिवसैनिकों ने दिखा दी है. सुशांत सिंह राजपूत, पालघर हत्याकांड और कंगना के मामले बैकफुट पर दिखी शिवसेना, संजय राउत को लपेटे में आता देख अपने पुराने रंग में नजर आई.
सूत्र बता रहे हैं कि शिवसेना अब पुराने वाले स्टाइल में, यानी बाल ठाकरे वाले स्टाइल में संघर्ष की तैयारी में है. सूत्रों की मानें तो वक्त आने पर शिवसेना ईडी कार्यालय पर बड़ी संख्या में मोर्चा भी निकाल सकती है. बस फर्क इतना है कि अब शिवसेना सरकार में है और इस बार पुलिस, बीएमसी जैसे सिस्टम का इस्तेमाल वो बीजेपी के नेताओं को निशाने पर लेने के लिए कर सकती है.
शिवसेना Vs बीजेपी या बीजेपी Vs कोई भी पार्टी में एक बात और कॉमन सी नजर आने लगी है वो है ईडी की कार्रवाईयां. विपक्षी पार्टियां भी लगातार कह रही हैं कि केंद्र सरकार ईडी-सीबीआई जैसी एजेंसियों का पॉलिटिकल इस्तेमाल कर रही है. एक और बात खास है कि पिछले एक साल में ED ने तमाम नेताओं को समन भेजा है लेकिन किसी भी तार्किक अंत पर नहीं पहुंच सकी है. चाहे वो शरद पवार से जुड़ा महाराष्ट्र स्टेट को-ओपेरेटिव बैंक का 25 हजार करोड़ का मामला हो, राज ठाकरे के कोहिनूर मिल लैंड खरीदी की जांच हो या फिर प्रफुल्ल पटेल का अंडरवर्ल्ड डॉन इब्राहिम के करीबी इकबाल मिर्ची के साथ हुए डील का मामला हो.
इन सभी मामलों में आम आदमी के हजारों करोड़ रुपये लूटे जाने के दावे का खूब प्रचार प्रसार हुआ, नोटिस भेजे गए लेकिन उस मामले का हुआ क्या, ये किसी को नहीं पता, शायद इसीलिए संजय राउत भी ईडी के नोटिस को घिसा-पिटा अस्त्र बता रहे हैं.
कुल मिलाकर ED के इस नए नोटिस का अंत क्या होगा किसी को नहीं पता, लेकिन इतना जरूर है कि नोटिस ने महाराष्ट्र की सियासत को गरम कर दिया है. शिवसेना Vs बीजेपी वाला माहौल अगले कुछ दिनों में राज्य में जरूर दिखेगा.
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