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'मुस्लिमों के नरसंहार की बात करने वालों पर UAPA क्यों नहीं?' - दुष्यंत दवे

वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे ने कहा कि कार्यपालिका का चुप रहना चौंकाने वाला है.

मेघनाद बोस
न्यूज वीडियो
Published:
<div class="paragraphs"><p>दुष्यंत दवे से बातचीत</p></div>
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दुष्यंत दवे से बातचीत

(फोटो: Altered by Quint)

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वीडियो एडिटर: दीप्ति रामदास

उत्तराखंड के हरिद्वार में कुछ दिनों पहले हुई कथित धर्म संसद में हेट स्पीच और मुसलमानों को मारने के आह्वान पर वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि ये आजादी के बाद के भारत में सबसे खराब हेट स्पीच है. दवे ने कहा कि कार्यपालिका का चुप रहना चौंकाने वाला है और ये समझ से परे है कि पुलिस इस तरह से कैसे काम कर रही है.

"मेरे हिसाब से, ये आजादी के बाद के भारत में हमने सबसे खराब हेट स्पीच देखी है. कार्यपालिका का चुप रहना और उत्तराखंड पुलिस के डीजीपी के लिए ये कहना कि उन्होंने लोगों को सिर्फ बुक किया है, चौंकाने वाला है."
दुष्यंत दवे, वरिष्ठ वकील

दुष्यंत दवे उन 76 वकीलों में शामिल हैं, जिन्होंने हरिद्वार हेट स्पीच की घटना पर भारत के चीफ जस्टिस को लेटर लिखकर सुप्रीम कोर्ट को मामले पर संज्ञान लेने की अपील की है.

वकीलों ने चीफ जस्टिस को लिखे लेटर में कहा कि "दिल्ली में (हिंदू युवा वाहिनी द्वारा) और हरिद्वार में (यति नरसिंहानंद द्वारा) आयोजित दो अलग-अलग कार्यक्रमों में 17 और 19 दिसंबर 2021 के बीच, नफरत भरे भाषणों में मुसलमानों के नरसंहार के लिए खुले आह्वान शामिल थे."

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'प्रधानमंत्री और गृहमंत्री चुप हैं'

दवे ने कहा प्रधानमंत्री मोदी और गृहमंत्री अमित शाह की चुप्पी पर सवाल उठाते हुए कहा, "आप 2002 या 1984 की तरह दंगों को बार-बार नहीं भड़का सकते. इसलिए, राजनीतिक दल ऐसे संगठनों द्वारा इस तरह के खराब व्यवहार में शामिल हैं, जो उन्हें बाहर से समर्थन दे रहे हैं. और यही इकलौता कारण है कि प्रधानमंत्री ने उनकी निंदा करते हुए कोई बयान नहीं दिया है. गृहमंत्री ने भी इस बारे में एक शब्द भी नहीं कहा है. और निश्चित रूप से, कानून यहां गायब है, क्योंकि अब तक किसी को गिरफ्तार नहीं किया गया है."

'बहुसंख्यकों और अल्पसंख्यकों के लिए अलग-अलग कानून'

दवे ने कहा कि देश में बहुसंख्यकों के लिए अलग और, अल्पसंख्यकों और सिविल सोसायटी के लोगों के लिए अलग कानून है. उन्होंने कहा कि ये अफसोस की बात है कि न्यायपालिका इसकी कड़े शब्दों और आदेशों के साथ निंदा नहीं कर रही.

"उदाहरण के लिए, आपने किसी कमेंट के लिए स्टैंडअप कॉमेडियन मुनव्वर फारूकी को गिरफ्तार किया. आपने बड़ी संख्या में लोगों को गिरफ्तार किया है, यहां तक कि नरेंद्र मोदी के खिलाफ ट्वीट करने वाले लोगों को भी कुछ ही समय में गिरफ्तार कर लिया गया. अब लोग महात्मा गांधी पर आपत्तिजनक बयान दे रहे हैं और नाथूराम गोडसे की तारीफ करने की कोशिश कर रहे हैं. वो चर्चों पर हमला कर रहे हैं. वो क्रिसमस कार्यक्रमों को बाधित कर रहे हैं. और फिर भी, चारों तरफ इस तरह के अवैध और असंवैधानिक बर्ताव पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही."
दुष्यंत दवे, वरिष्ठ वकील

दवे ने कहा कि ये ऐसे उदाहरण हैं, जहां न केवल आईपीसी के प्रावधान, बल्कि UAPA के प्रावधान भी समान रूप से लागू होंगे. उन्होंने कहा, "इन सभी लोगों को कानून के अधीन किया जाना चाहिए, क्योंकि, अगर आप उन्हें अभी नहीं रोकेंगे, तो आप उन्हें कभी नहीं रोक पाएंगे. सवाल ये है कि क्या सत्ताधारी पार्टी में ऐसा करने की इच्छाशक्ति है?"

वरिष्ट वकील दुष्यंत दवे ने कहा कि उनकी नजर में, ये भाषण पूरी तरह से देशद्रोही हैं.

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