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आपको लगता होगा कि SSC पर बीते कुछ दिनों में आपने सब देख लिया, जान लिया या समझ लिया? आप उस दर्द से वाबस्ता हो गए जो हजारों छात्र दिल्ली की चमचमाती सड़कों पर सह रहे थे. लेकिन क्या ये सच है? सच पूछिए तो सच से कोसों दूर.
अप्लाई करने वालों और पोस्ट की संख्या में ये फर्क देख रहे हैं आप? तो क्यों ना SSC को स्टाफ सेलेक्शन कमीशन की जगह...स्टाफ एलिमिनेशन कमीशन कहा जाए...जहां ज्यादातर कैंडिडेट को लेने नहीं बल्कि छोड़ने की, छांटने की लड़ाई है. सिर्फ SSC एग्जाम्स का ये हाल नहीं है. सरकारी नौकरियों के सिकुड़ते दायरे और बढ़ती बेरोजगारी की वजह से हर नौकरी यहां तक एडमिशन में भी यही मारामारी है. एक अदद नौकरी जैसे चांद हो गई जिसे उचककर छूना मुमकिन नहीं.
बाकी की बात अभी छोड़िए, इस SSC को ही समझ लीजिए. स्टाफ सेलेक्शन कमीशन का काम है केंद्र सरकार और दूसरे विभागों के लिए ग्रुप B और ग्रुप C के कर्मचारियों का सेलेक्शन करना. यानी UPSC के एग्जाम को छोड़ दें तो बाकी के ज्यादातर एग्जाम और सेलेक्शन यही बोर्ड कराता है. खास तौर से CGL यानी कंबाइंड ग्रेजुएट लेवल, CHSL यानी कंबाइंड हायर सेकेंडरी लेवल, Central Police Officer और Multi Tasking Staff(MTS) की परीक्षाएं ये आयोग कराता है.
CGL के लिए साल 2017 में करीब 30 लाख छात्रों ने रजिस्ट्रेशन कराया था. वैकेंसी थी करीब 8 हजार. पहले प्री हुआ. प्री को पार कर निकले कुल जमा करीब 1 लाख 90 हजार छात्रों के लिए 17 से 22 फरवरी तक ऑनलाइन मोड में कुछ पेपर हुए. परीक्षा में बैठने वाले छात्र कह रहे हैं ऑनलाइन एग्जाम शुरू भी नहीं हुआ था कि 15 मिनट पहले क्वेश्चन पेपर और आंसर शीट ऑनलाइन तैरने लगे.
तकनीकी खामी कहकर परीक्षा हड़बड़ी में रुकवाई गई और इसी दिन करीब सवा 12 बजे इसे रिशेड्यूल किया गया. जब छात्र परीक्षा देकर वापस आए तो पता चला ये पेपर भी लीक हो चुका है. ऐसा एग्जाम देने वाले छात्र कह रहे है. उनका कहना है कि पैसे लेकर कुछ छात्रों को फायदा पहुंचाया गया. उनके पेपर्स को रिमोट लोकेशन यानी किसी दूसरी जगह बैठकर सॉल्व किया गया.
और बस भविष्य में पलीता लगाने वालों के खिलाफ छात्र सड़कों पर आ गए.
अगर नौकरशाहों को लगता है, सरकार को लगता है, इस पूरे सिस्टम को लगता है कि काले कांच, पर्दे और एसी वाले दफ्तरों के बाहर की सड़कों पर उमड़ा हुजूम चुप बैठेगा तो वो गलत हैं. बिल्कुल गलत. इन तख्तियों पर लिखी इबारत सिर्फ वो नहीं जो दिखाई देती है. वो इससे कहीं ज्यादा है. सरकारों को इस इबारत से डरना चाहिए.
सपना डिजिटल इंडिया का और तैयारी पाषाण काल की भी नहीं. ये खिलवाड़ आखिर कब तक चलेगा?
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