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24 फरवरी को रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) के यूक्रेन (Ukraine Crisis) में सैन्य कार्रवाई के आदेश के बाद, करीब 20 हजार भारतीय स्टूडेंट्स यूक्रेन के अलग-अलग शहरों में फंस गए हैं. पुतिन के आदेश के बाद से ही यूक्रेन की राजधानी कीव समेत कई राज्यों में धमाके और जान-माल के नुकसान की खबर है.
यूक्रेन में संकट के हालात के बीच, भारत में बच्चों के परिवार डरे हुए हैं और अपने बच्चों की सुरक्षित वापसी की कामना कर रहे हैं. वैशाली विल्सन की बेटी सृष्टि यूक्रेन में एमबीबीएस की पढ़ाई कर रही है. उन्होंने प्रशासन से मदद मांगी, लेकिन किसी ने मदद नहीं की.
ऐसा ही हाल गर्विता महेश्वरी के घर का भी है, जिनकी बेटी Vinnytsia के एक हॉस्टल में फंसी हुई है. गर्विता की मां ने कहा, "हम बस चाहते हैं कि किसी तरह हमारी बेटी घर आ जाए. वॉटर डिस्पेंसर से पानी भी खत्म होने वाला है."
गर्विता के पिता, मनोज महेश्वरी ने कहा, "एयरस्पेस का बंद होना और चिंताजनक है, हमें नहीं मालूम कि सरकार कैसे रेस्क्यू करेगी."
देहरादून के रहने वाले कुछ अभिभावक परेशान हैं, क्योंकि उनके बच्चे एयरपोर्ट की तरफ जाते हुए रास्ते में फंस गए हैं. सरकार से मदद मांगते हुए उन्होंने कहा, "हम पीएम से निवेदन करते हैं कि यूक्रेन में फंसे सभी भारतीय स्टूडेंट्स को सुरक्षित निकालें. उनसे निवेदन है कि स्टूडेंट्स को एयरलिफ्ट किया जाए."
यूक्रेन की एयरस्पेस बंद होने के कारण भारत सरकार हंगरी, रोमानिया और पोलैंड जैसे पड़ोसी देशों के जरिये भारतीयों की सुरक्षित वापसी सुनिश्चित कर रही है.
इसी बीच, रास्ते में भारतीय स्टूडेंट्स के फंसे होने की खबरों के बाद, कीव में भारतीय दूतावास ने 26 फरवरी को भारतीय नागरिकों और स्टूडेंट्स से बिना भारत सरकार के अधिकारियों से को-ऑर्डिनेट किए, बॉर्डर की तरफ निकलने से मना किया है.
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