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यूपी का सोनभद्र जिला अगर अपनी सुंदरता और बिजली उत्पादन के लिए मशहूर है तो अपने जहरीले पानी के लिए उतना ही बदनाम भी. सोनभद्र की बिजली से देश चमकता है लेकिन यहां के बाशिंदों की जिंदगी में अंधेरा है. ग्रामीण पीएम नरेंद्र मोदी तक से गुहार लगा रहे हैं.
इस जिले के ज्यादातर हिस्सों से पानी गायब है. 269 गांवों के पानी में आर्सेनिक, फ्लोराइड और फॉस्फोरस की मात्रा खतरनाक स्तर पर पहुंच गई है. लोग पानी के नाम पर ‘जहर’ पी रहे हैं. गंदा पानी पीने से लोग बीमार पड़ रहे हैं.
फ्लोरोसिस जैसी गंभीर बीमारी का कहर बुजुर्गों से लेकर जवान तक पर पड़ रहा है. इस बीमारी से जूझ रहे रामप्रीत शर्मा चल नहीं पाते हैं. पढरच झिर्गाडंडी गांव के लक्षण पटेल 25 की उम्र में ही कमर और घुटने में दर्द से परेशान हैं. इसकी वजह से वो मनरेगा तक में काम नहीं कर पाते.
फ्लोराइड वाले पानी ने कई लोगों को विकलांग बना दिया है. फ्लोरोसिस की वजह से दांत झड़ने लगते हैं हड्डियां कमजोर हो जाती हैं.
पढरच झिर्गाडंडी गांव में फ्लोराइड कम करने के लिए फिल्टर तो लगे हैं लेकिन सरकार की बदइंतजामी से वो खराब पड़े हैं और अब उनकी सुध लेने वाला भी कोई नहीं है. गांव वालों का कहना है कि उन्होंने कई बार प्रशासनिक लोगों से शिकायत की है लेकिन इसे लेकर कोई समाधान नहीं निकल पाया.
आलम ये है कि प्रभावित गांवों के लड़के -लड़कियों की शादियां नहीं हो रही है. लोग झूठ बोलकर दूसरी जगह से शादी करते हैं और फिर गांव आते हैं.
सोनभद्र के लोगों को हो रहा नुकसान सिर्फ शारीरिक ही नहीं बल्कि उनकी बीमारियों की वजह से आर्थिक स्थिति पर भी असर पर रहा है.
जिले के सीएमओ एसपी सिंह और डीएम अमित सिंह कहते हैं कि पीने का साफ पानी जरूरी है. हम इसे लेकर योजना बनाएंगे और परेशानी से निजात दिलाने में सफल होंगे.
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