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वीडियो एडिटर: अभिषेक शर्मा
भारत में कोरोना वायरस का कहर थमने का नाम ही नहीं ले रहा है. ये महामारी अब तक तीन लाख से ज्यादा लोगों की जान ले चुकी है. जान गंवाने वालों उत्तर प्रदेश के कई शिक्षक भी शामिल हैं, जिनके परिवारों का आरोप है कि पंचायत चुनाव में ड्यूटी के कारण उनके अपने चले गए. क्विंट ने ऐसे तीन परिवारों से संपर्क किया, जिनके घर में शिक्षकों की मौत हो हुई है. ये सभी परिवार इसके लिए उत्तर प्रदेश पंचायत चुनाव को दोषी मानते हैं.
शिक्षिका संगीता और शशांक की पिछले महीने जून में शादी हुई थी. संगीता की पंचायत चुनाव में ड्यूटी लगी थी. उनके गर्भ में दो जुड़वा बच्चे पल रहे थे. 17 अप्रैल को कोरोना से उनकी मृत्यु हो गई. कोविड के कारण पत्नी और अजन्मे बच्चों को खो चुके उनके पति कहते हैं कि उनका पूरा घर टूट गया है. उन्होंने कहा,
शशांक बताते हैं कि उन्होंने पत्नी की ड्यूटी हटाने के लिए कई लोगों को लेटर लिखा, लेकिन कहीं से उन्हें कोई मदद नहीं मिली. शशांक पत्नी और अजन्मे बच्चों की मौत के लिए न्याय की मांग करते हैं.
श्रावस्ती के रहने वाले दीपक मिश्र ने महामारी में पिता कृष्ण बहादुर मिश्र को खो दिया, जिनकी पंचायत चुनाव के दौरान ड्यूटी लगी थी. मिश्र ने बताया कि चुनाव आयोग ने ड्यूटी पर जाना अनिवार्य कर दिया था.
उत्तर प्रदेश के ललितपुर में शिक्षक अजमल खान की कोविड से मौत हो गई. उनकी बहन, हबीबा ने क्विंट को बताया,
हबीबा मांग करती हैं कि सरकार उनके भाई के बच्चों की आर्थिक मदद करे, जिन्होंने अपने माता-पिता को खो दिया.
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