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“चुनाव ड्यूटी ने ली प्रेग्नेंट पत्नी की जान’’, यूपी से 3 कहानियां

UP प्राथमिक शिक्षक संघ के मुताबिक, राज्य में पंचायत चुनाव कराने में लगे 1621 शिक्षकों की मौत कोरोना के कारण हो गई.

अभय कुमार सिंह
न्यूज वीडियो
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परिवारों ने यूपी पंचायत ड्यूटी को बताया मौत के पीछे जिम्मेदार
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परिवारों ने यूपी पंचायत ड्यूटी को बताया मौत के पीछे जिम्मेदार
(फोटो: क्विंट हिंदी)

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वीडियो एडिटर: अभिषेक शर्मा

भारत में कोरोना वायरस का कहर थमने का नाम ही नहीं ले रहा है. ये महामारी अब तक तीन लाख से ज्यादा लोगों की जान ले चुकी है. जान गंवाने वालों उत्तर प्रदेश के कई शिक्षक भी शामिल हैं, जिनके परिवारों का आरोप है कि पंचायत चुनाव में ड्यूटी के कारण उनके अपने चले गए. क्विंट ने ऐसे तीन परिवारों से संपर्क किया, जिनके घर में शिक्षकों की मौत हो हुई है. ये सभी परिवार इसके लिए उत्तर प्रदेश पंचायत चुनाव को दोषी मानते हैं.

उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षक संघ के मुताबिक, राज्य में पंचायत चुनाव कराने में लगे 1621 शिक्षकों की मौत कोरोना के कारण हो गई, जबकि उत्तर प्रदेश सरकार के मुताबिक ये आंकड़ा मात्र 3 है.

“पूरा परिवार टूट गया”

शिक्षिका संगीता और शशांक की पिछले महीने जून में शादी हुई थी. संगीता की पंचायत चुनाव में ड्यूटी लगी थी. उनके गर्भ में दो जुड़वा बच्चे पल रहे थे. 17 अप्रैल को कोरोना से उनकी मृत्यु हो गई. कोविड के कारण पत्नी और अजन्मे बच्चों को खो चुके उनके पति कहते हैं कि उनका पूरा घर टूट गया है. उन्होंने कहा,

“अधिकारियों के आगे हाथ-पैर जोड़ते रहे, लेकिन किसी ने एक नहीं सुनी. हमारा पूरा घर टूट गया है. सब खत्म हो गया.”

शशांक बताते हैं कि उन्होंने पत्नी की ड्यूटी हटाने के लिए कई लोगों को लेटर लिखा, लेकिन कहीं से उन्हें कोई मदद नहीं मिली. शशांक पत्नी और अजन्मे बच्चों की मौत के लिए न्याय की मांग करते हैं.

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“अनिवार्य था चुनाव ड्यूटी पर जाना”

श्रावस्ती के रहने वाले दीपक मिश्र ने महामारी में पिता कृष्ण बहादुर मिश्र को खो दिया, जिनकी पंचायत चुनाव के दौरान ड्यूटी लगी थी. मिश्र ने बताया कि चुनाव आयोग ने ड्यूटी पर जाना अनिवार्य कर दिया था.

“चुनाव आयोग ने कभी नहीं कहा कि ये स्वैच्छिक है, ये अनिवार्य था, मतलब आपको जाना ही पड़ेगा, नहीं तो आप पर कार्रवाई होगी. अगर विपरित परिस्थिति नहीं होती तो ये उचित होता, लेकिन महामारी जब इतनी तेजी से फैल रही थी, तब भी आप चुनाव करा रहे हैं, न ही ये अनिवार्य किया गया कि वैक्सीन लगवाने वालों की ही ड्यूटी लगेगी. चुनाव के बाद अगर कोई शिक्षक बीमार होता है तो उसका हालचाल भी नहीं लिया जाता.”
दीपक मिश्र

“बच्चों को आर्थिक मदद दे सरकार”

उत्तर प्रदेश के ललितपुर में शिक्षक अजमल खान की कोविड से मौत हो गई. उनकी बहन, हबीबा ने क्विंट को बताया,

“जांच कराई तो पॉजिटिव निकले, पॉजिटिव आने के बाद उनकी तबीयत खराब हो गई, वो अपनी ड्यूटी कटवाने गए, लेकिन उनकी ड्यूटी नहीं काटी गई. ये कहकर भगा दिया गया कि कोई ड्यूटी नहीं कटेगी. उनकी हालत ठीक नहीं थी. उन्हें झांसी रेफर कर दिया गया और इसी कोरोना महामारी में दोनों भाई-भाभी चले गए.”
हबीबा

हबीबा मांग करती हैं कि सरकार उनके भाई के बच्चों की आर्थिक मदद करे, जिन्होंने अपने माता-पिता को खो दिया.

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