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टोक्यो ओलंपिक 2020 (Tokyo Olympic 2020) में भारतीय महिला हॉकी टीम ने शानदार प्रदर्शन किया, जिसने सभी का ध्यान अपनी ओर खींचा, लेकिन महिला टीम के अच्छे प्रदर्शन के बाद भी टीम सेमीफाइनल में हार गयी और कोई पदक नहीं जीत सकी. इसके बावजूद उनकी हिम्मत, मेहनत और जज्बे की तारीफ पूरे देश ने की.
इसी बीच महिला हॉकी टीम की वंदना कटारिया को लेकर खराब खबर सामने आई. दरअसल हरिद्वार में वंदना के घरवालों के साथ लोगों ने अभद्र भाषा और जातिसूचक शब्दों का इस्तेमाल किया, उनके घर के बहार पटाखे फोड़े गए और कहा गया कि "नीची जाति के खिलाड़ियों के टीम में होने की वजह से हॉकी टीम पदक नहीं जीत पाई."
इस पूरे मामले पर महिला हॉकी टीम की कप्तान रानी रामपाल ने काफी कुछ कहा,
आगे वंदना कटारिया के परिवार का जिक्र करते हुए रानी कहती हैं कि, "मैं बस लोगों से इतना कहना चाहती हूं कि आप ये सब चीजें बंद कीजिये, ये धर्म और जाति के आधार पर लोगों को तौलना बंद कीजिए, क्योंकि हम इन सब चीजों से ऊपर उठ के काम करते हैं. हम अलग-अलग जातियों और धर्मों से आते हैं, कुछ हिन्दू हैं तो कुछ मुस्लिम हैं और कुछ सिख हैं. हम सभी भारत के अलग अलग क्षेत्रों से आते हैं, चाहे वो नार्थ हो या साउथ हो, पर जब हम सभी एक साथ यहां आते हैं तो हमे सिर्फ एक ही चीज दिखती है. जिसके लिए हम मेहनत करते हैं और वो है भारत. भारत के तिरंगे के लिए हम हमेशा काम करते हैं, इस तिरंगे के लिए हम दिन रात ग्राउंड पर अपना पसीना बहाते हैं."
हॉकी टीम को हार के बावजूद मिले प्यार और साथ पर रानी रामपाल कहती हैं कि, "मुझे ऐसा लगता है मेरे इतने सालों के हॉकी के करियर में मैंने कभी इतनी रेस्पेक्ट, इतना प्यार फील नहीं किया. ये पहली बार हुआ है, इतने लोगों ने हमे प्यार दिया. इन लोगों से सीखना चाहिए कि अगर हमें अपनी कंट्री को एक सपोर्ट करने वाला देश बनाना है तो हमें सब की जरूरत है, एक अकेला इंसान ये नहीं कर सकता. ये बहुत बुरी घटना थी, जो वंदना के परिवार के साथ हुई और मैं उम्मीद करती हूं कि इससे लोगों को सबक मिला होगा कि किसी के भी साथ ऐसा आगे न किया जाए."
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