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क्या वाराणसी हादसे के पीछे योगी सरकार की जल्दबाजी है?

आखिर क्या है इस दर्दनाक हादसे की वजह?

विक्रांत दुबे
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वाराणसी में कैंट स्टेशन के पास हुए हादसे के बाद कई सवाल खड़े हो रहे हैं. लेकिन जो सबसे गंभीर बात सामने आ रही है वो सरकार को ही कठघरे में खड़ा कर रही है. इस फ्लाईओवर का निर्माण दिसंबर 2018 तक पूरा होना था लेकिन क्विंट को मिली जानकारी के मुताबिक इसे जून तक ही पूरा करने का दबाव बनाया जा रहा था. योगी सरकार चाहती थी कि इस फ्लाईओवर का उद्घाटन इसी साल जून में कर दिया जाए.

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फ्लाईओवर का काम पिछले 3 साल से चल रहा है. इस बीच करीब 50 से ज्यादा अधिकारियों और मंत्रियों ने इसका निरीक्षण किया था. फ्लाईओवर की गुणवत्ता को लेकर काफी सावधानी भी बरती जा रही थी. खुद सीएम योगी आदित्यनाथ और डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या भी इसका निरीक्षण कर चुके थे.

फिर चूक कहां हुई. क्या निरीक्षण के नाम पर दौरे सिर्फ अखबारी थे. या फिर उद्घाटन की जल्दबाजी थी?

पड़ताल में जो बातें सामने आई वो ये हैं-

  • फ्लाईओवर के नीचे रोज लगता है जाम.
  • रेलवे स्टेशन के कारण ट्रैफिक का काफी लोड.
  • 3 साल से चल रहा था फ्लाईओवर का काम.
  • 50 अधिकारियों और मंत्रियों ने किया था निरीक्षण.
  • गुणवत्ता पर रहा जोर, लेकिन नहीं हुई मानक की जांच.
  • चुनाव से पहले फ्लाईओवर कम्पलीट करना चाहती थी सरकार.
  • विभाग पर पुल जल्दी तैयार करने का था दबाव.
  • काम में तेजी के लिए गाजीपुर यूनिट को बुलाया गया.

हादसे ने छीन ली 18 लोगों की जिन्दगी

15 मई को हुए इस हादसे ने 18 लोगों की जिंदगी छीन ली.

हादसे में अपने पति और बेटे को गंवाने वाली कुमकुम सिंह उस शाम के बारे में बताते हुए फफक पड़ती हैं. वो अपने पति और बेटे को छोड़ने वाराणसी के कैंट रेलवे स्टेशन जा रही थीं. बेटा,कोटा में कम्पटीशन की तैयारी कर रहा था.

पूरा परिवार कार से स्टेशन से महज 300 मीटर की दूरी पर था. स्टेशन जाने के लिए फ्लाईओवर के नीचे से ही गुजरना पड़ता है. काफी लंबा जाम था. जाम धीरे-धीरे खिसक रहा था कि इस बीच शाम करीब 5.20 पर फ्लाईओवर का स्लैब पहाड़ की तरह उनकी गाड़ी पर गिरा.

कटर आ जाता तो मेरा बेटा बच जाता. सबसे कह रही थी ‘मेरे बाबू को बचाओ’ लेकिन कोई नहीं सुन रहा था. लोग सोच रहे थे कि अपने को बचाने के लिए बोल रही हूं. काफी देर तक कार में दबी रही. बेटे को जिन्दा बचाने के लिए पानी का छींटा देती रही.
कुमकुम सिंह 

दूसरे पीड़ित शम्सुद्दीन मोटरसाइकिल से घर जा रहे थे. हादसे के शिकार हुये, लेकिन स्थानीय लोगों ने किसी तरह निकाल, उन्हें बचा लिया.

हादसे के कारणों की जांच शुरू हो चुकी है. सेतु निगम के प्रोजेक्ट मैनेजर समेत 4 लोगों को सस्पेंड किया जा चुका है. लेकिन सवाल अब भी वही है कि क्या ऐसे रुक पाएंगे हादसे?

ये भी पढ़ें- वाराणसी: तबाही की तस्वीरें,जब एक झटके में खत्म हो गईं 18 जिंदगियां

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Published: 18 May 2018,05:31 PM IST

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