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क्या मजदूरों के वो आंसू, वो तकलीफें ‘FAKE’ थीं? सच दिखाता वीडियो

मजदूरों के पलायन पर संसद में मोदी सरकार का दावा और सच्चाई दिखाता वीडियो

अस्मिता नंदी
न्यूज वीडियो
Updated:
लॉकडाउन में प्रवासी मजदूरों के पलायान के लिए मोदी सरकार ने फेक न्यूज को ठहराया
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लॉकडाउन में प्रवासी मजदूरों के पलायान के लिए मोदी सरकार ने फेक न्यूज को ठहराया
(फोटो: क्विंट हिंदी)

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वीडियो एडिटर: दीप्ती रामदास

आपने देखा होगा हाईवे पर पैरों में छाले और कंधे पर अपनी गृहस्थी लिए मजूदरों (Migrant Workers) का हुजूम चला रहा है अपने गावों की ओर. आपने नोएडा बॉर्डर पर बिलखते कुल्फी बेचने वाले सतवीर को देखा होगा. आपने उस दिव्यांग बच्ची को भी देखा होगा जो रोती-रोती यूपी में अपने गांव की ओर जा रही थी. आपने आजादी के बाद सबसे बड़ा पलायन जरूर देखा होगा. लेकिन सरकार ने संसद में कहा है कि ये पलायन इसलिए हुआ क्योंकि मीडिया ने फेक न्यूज चलाया.

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इससे पहले सॉलिसिटर जनरल ने कोर्ट में यही बात कही थी. क्या विडंबना है कि जो सरकार ये डेटा नहीं जमा कर पाई कि लॉकडाउन के कारण कितने लोग बेरोजगार हुए या कितने मजदूर मारे गए, उसने ये हिसाब लगा लिया कि ये आपदा फेक न्यूज के कारण आई.

क्या विडंबना है कि जो सरकार मजदूरों के जख्मों पर मरहम नहीं लगा पाई वो अपनी गलती स्वीकार के बजाय इनके जख्मों पर फेक न्यूज का नमक छिड़क रही है.

कहीं आप भी इस झांसे में न आ जाएं इसलिए क्विंट ने उन मजबूर मजदूरों की आपबीती का एक वीडियो बनाया है, जिसमें आप उनसे खुद सुन सकते हैं कि उनकी पीड़ा, आप देख सकते हैं उनकी तकलीफ. ये सारी कहानियां क्विंट ने लॉकडाउन के पिछले कुछ महीनों में अपने कैमरे में कैद की हैं.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

Published: 17 Sep 2020,11:31 PM IST

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