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2019 चुनाव से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार के आखिरी बजट के बारे में क्विंट के एडिटोरियल डायरेक्टर संजय पुगलिया ने न्यूज रूम में विस्तार से चर्चा की.
सीनियर एग्जीक्यूटिव एडिटर मयंक मिश्रा और एग्जीक्यूटिव एडिटर नीरज गुप्ता के साथ चर्चा के दौरान यह जानने-समझने की कोशिश की गई कि बजट से आम आदमी की क्या उम्मीदें हैं.
चर्चा में ये बात सामने आई कि मध्यम वर्ग को खुश करने के लिए सरकार ने महंगाई जरूरत से ज्यादा कम कर दी. इसका सीधा असर 12 करोड़ किसान की आमदनी पर पड़ा. उन्हें अपनी फसल का न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं मिल पा रहा है. फसल बीमा योजना का लाभ भी उन्हें तुरंत नहीं मिल पा रहा है.
किसानों की स्थिति बहुत गंभीर है और इसके लिए सरकार इस बजट में उनके लिए घोषणा कर सकती है. भले ही ये वोट ऑन अकाउंट बजट है, मगर सरकार अपना कमिटमेंट इस मुद्दे पर दिखला सकती है.
इस बजट को सिर्फ दो बातों के लिए देखा जाएगा. पहला तो ये कि चुनाव के लिए इसमें क्या-क्या घोषणाएं होंगी. दूसरा, मिडिल क्लास और किसानों को मलहम लगाने का प्रयास. खर्चे की तरफ अंडर एस्टीमेट और आमदनी को ओवर प्रोजेक्ट करने का प्रयास होगा.
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