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देशभर में लोग केरल में फैले निपाह वायरस और उन्हें फैलाने वाले चमगादड़ों के आतंक से डरे हुए हैं. लेकिन गुजरात की 74 साल की एक ऐसी महिला हैं, जो 1000 से ज्यादा चमगादड़ों के साथ अपने घर में आराम से बिना डरे रह रही हैं.
हालांकि भोपाल के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हाई सिक्योरिटी एनिमल डिजीज के मुताबिक, निपाह वायरस के फैलाव के लिए मुख्य तौर पर चमगादड़ जिम्मेदार नहीं हैं.
शांताबेन नाम की महिला को इन चमगादड़ों से इतना लगाव है कि जैसे-जैसे इन चमगादड़ों की संख्या बढ़ती चली गई, उन्होंने कमरे से निकलकर घर के बरामदे में खाना बनाना और सोना शुरू कर दिया. वो किसी भी कीमत पर इन चमगादड़ों को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहती थीं.
शांताबेन प्रजापति अपने घर में साल 2013 यानी 5 सालों से इन चमगादड़ों की मेहमाननवाजी कर रही हैं.
चमगादड़ों ने इनके 2 मंजिला मिट्टी के घर पर कब्जा कर लिया है, जहां वे दिन में आराम करते हैं और सूर्यास्त के समय खाने की तलाश में निकलते हैं, फिर वो सुबह लौट आते हैं.
शांताबेन रोजाना इन चमगादड़ों की फैलाई गंदगी साफ करती हैं और शिकायत करती हैं कि इसकी बदबू उनके घर में फैल जाती है. लेकिन इसके बावजूद वो उनके लिए निर्दयी नहीं बन सकतीं.
स्थानीय ग्रामीण केरल में हुए 12 मौतों के बारे में जानकर अपने गांव में रह रहे इन चमगादड़ों को लेकर चिंता में हैं.
शंकरसिंह नाथूसिंह राजपुर के निवासी हैं और आसपास के गांवों के लिए एक अखबार एजेंसी चलाते हैं. वे कहते हैं:
द क्विंट ने शांताबेन के घर में मौजूद चमगादड़ों के बारे में एक पशु बचाव और कल्याण संगठन, जीवदया चैरिटेबल ट्रस्ट के मैनेजिंग ट्रस्टी गिरा शाह से बात की.
बहरहाल, महामारी के बावजूद शांताबेन की जिंदगी का सफर चमगादड़ों के साथ जारी है.
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