Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Videos Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019महंगाई के जख्म पर प्याज का मरहम नहीं, बयानों का नमक छिड़क रहे नेता

महंगाई के जख्म पर प्याज का मरहम नहीं, बयानों का नमक छिड़क रहे नेता

एक और मंत्री हैं अश्विनी चौबे कह रहे हैं वो शाकाहारी हैं इसलिए उन्हें प्याज का दाम पता नहीं है.

शादाब मोइज़ी
वीडियो
Published:
प्याज के आंसू रोती जनता और मंत्रियों के कड़वे बोल
i
प्याज के आंसू रोती जनता और मंत्रियों के कड़वे बोल
(फोटो: क्विंट हिंदी)

advertisement

वीडियो एडिटर: मोहम्मद इरशाद आलम

“मैं इतना लहसुन,प्याज नहीं खाती हूं जी. इसलिए चिंता मत कीजिए, मैं ऐसे परिवार से आती हूं, जहां प्याज से मतलब नहीं रखते.” निर्मला जी ये बोलते-बोलते शायद ये भूल गईं कि प्याज खाईए या ना खाईए प्याज आंसू जरूर निकाल देता है. चाहे कटकर हो, दाम बढ़कर हो या फिर सियासत के मैदान में 'हार 'वाली माला पहनकर..

एक और मंत्री हैं अश्विनी चौबे कह रहे हैं वो शाकाहारी हैं इसलिए उन्हें प्याज का दाम पता नहीं है. इस रेस में एक और बीजेपी सांसद वीरेंद्र सिंह मस्त ने कह दिया कि चलिए मैं अपने संसदीय क्षेत्र में 25 रुपये किलो की दर से प्याज दिलवाता हूं वो भी फुल ट्रक. लिस्ट लंबी होती जा रही है.

अब ऐसे ऐसे तर्क आएंगे तब तो फिर हम ये भी पूछ सकते हैं कि मंत्री कार पर बैठते हैं, फिर ऑटो सेक्टर में मंदी क्यों है? एक और मंत्री हैं अश्विनी चौबे कह रहे हैं वो शाकाहारी हैं इसलिए उन्हें प्याज का दाम पता नहीं है. इस रेस में एक और बीजेपी सांसद वीरेंद्र सिंह मस्त ने कह दिया कि चलिए- मैं अपने संसदीय क्षेत्र में 25 रुपये किलो की दर से प्याज दिलवाता हूं वो भी फुल ट्रक. लिस्ट लंबी होती जा रही है.

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

प्याज की रुलाने वाली कहानी से पहले हम आपको खाने का स्वाद बढ़ाने वाले प्याज के राजनीतिक ताकत के बारे में बताते हैं, जिसने कई सरकारों के मुंह का मजा ही खराब कर दिया.

‘प्याज की ताकत इस बात से समझ लीजिए कि प्याज के बढ़ते दाम की वजह से 1980 में जनता पार्टी को लोक सभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था. उस वक्त विपक्ष में बैठी इंदिरा गांधी ने बढ़ते प्याज के दाम को चुनावी मुद्दा बनाया था. इसी तरह 1998 में भारतीय जनता पार्टी को दिल्ली के चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था.

मामला इतना बढ़ा था कि प्याज की महंगाई की खबर न्यूयॉर्क टाइम्स तक में छपी थी. उस समय केंद्र और दिल्ली दोनों की सत्ता में बीजेपी ही काबिज थी, लेकिन दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले प्याज का मुद्दा गर्माया और दिल्ली ने सुषमा स्वराज की सरकार गिरा दी.

प्याज की किल्लत, तुर्की से लेकर इजिप्ट से मदद को मजबूर

अब बात प्याज की किल्लत की. प्याज सेब से भी महंगा है. कहीं 120 रुपए तो कहीं 130 रुपए किलो. लालू ने कहा भी - पिइजवा अनार से भी महंगा हो गईल. अब जब प्याज ने डॉलर को पीछे छोड़ दिया है तब सरकार ने हाथ-पांव मारना शुरू किया. हालात ये है कि जो तुर्की कश्मीर पर हमें आंखे दिखा रहा था वहां से प्याज मंगाना पड़ रहा है.

केंद्रीय मंत्री राम विलास पासवान ने 1 दिसंबर को बताया कि सरकार ने टर्की से 11 हजार टन प्याज का आयात करने के निर्देश दिए हैं. यह प्याज दिसंबर के आखिर और जनवरी की शुरुआत से मिलने लगेगा. मतलब अभी प्याज काटकर नहीं खरीदकर आंसू बहाना होगा. इजिप्ट, अफगानिस्तान से भी प्याज मंगाया जा रहा है.

प्याज की बढ़ती कीमतों में रोक लगाने के लिए सरकार की ओर से जो भी कोशिशें की जा रही हैं उसका भी जिक्र निर्मला जी ने किया है. वित्त मंत्री ने लोकसभा में कहा,

‘‘प्याज के भंडारण से कुछ ढांचागत मुद्दे जुड़े हैं और सरकार इसका निपटारा करने के लिये कदम उठा रही है.’’

उन्होंने कहा कि प्याज की खेती के आकार में कमी आई है और इसलिए उत्पादन में भी गिरावट दर्ज की गई है.

अब सरकार इन सवालों का जवाब दे

लेकिन सवाल है कि क्यों हर बार सरकार जब पानी सर से ऊपर चढ़ जाता है तब तिनके का सहारा देने की कोशिश करती है. हर दूसरे-तीसरे साल ये हालात बनते हैं और हमारे पास इंपोर्ट करने के अलावा कोई चारा नहीं बचता.

क्यों प्याज के लिए महाराष्ट्र और कर्नाटक पर ही निर्भर रहना पड़ा? क्यों नहीं बिचौलियों को रोका गया? क्यों नहीं कारोबारियों की जमाखोरी पर नजर रखी गई? क्यों हजारों टन फसल को खराब होने दिया गया? क्यों भारत में स्टोरेज कैपेसिटी कमजोर है? सरकार पहले से तैयारी क्यों नहीं करती? अब जब डिनर के वक्त ब्रेकफास्ट बनेगा तो फिर कैसे हेल्दी बनेगा इंडिया और जब ऐसा होगा तब किसान से लेकर आम लोग पूछेंगे जनाब ऐसे कैसे?

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

Published: undefined

Read More
ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT