Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Videos Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019नोएडा: लेबर चौक पर रोज आते हजारों मजदूर, रोज खाली हाथ जाते घर

नोएडा: लेबर चौक पर रोज आते हजारों मजदूर, रोज खाली हाथ जाते घर

लॉकडाउन के बाद करीब 9.1 करोड़ दिहाड़ी मजदूरों की नौकरियां चली गई हैं.

अस्मिता नंदी
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लॉकडाउन के बाद करीब 9.1 करोड़ दिहाड़ी मजदूरों की नौकरियां चली गई हैं.
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लॉकडाउन के बाद करीब 9.1 करोड़ दिहाड़ी मजदूरों की नौकरियां चली गई हैं.
(फोटो: क्विंट हिंदी)

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वीडियो एडिटर: प्रशांत चौहान

एक वायरस ने कैसे दिहाड़ी मजदूरों की जिंदगी तबाह कर दी है. मजदूरों का पहले अपने घर को लौटना और अब फिर शहरों में वापस लौटना शुरू हो गया है. लेकिन शहरों में भी उन्हें काम नहीं मिल रहा है. क्विंट ने हालात समझने के लिए नोएडा के लेबर चौक के मजबूरों से बात की.

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मोदी सरकार के डेटा के मुताबिक 1.04 करोड़ प्रवासी मजदूर लॉकडाउन के वक्त अपने गृह राज्य लौटे. 25 साल के सुबोध सिंह उनमें से एक हैं.

44 घंटे का वक्त मिला तो हम घर चले गए. घर पर खेती है नहीं. वहां भी कमाना और खाना है यहां भी वही है. वहां भी काम नहीं मिल रहा और यहां भी काम नहीं है.
सुबोध सिंह, प्रवासी मजदूर, सीतापुर

अमित कुमार परीक्षा देने के लिए मार्च में नोएडा आए थे. 6 महीने बाद काम के लिए लेबर चौक की लाइन में शामिल हो गए.

पेपर देने आए थे तभी लॉकडाउन हो गया. घर जा नहीं पाए और यहां कमरा ले लिया. पैसे देने की वजह से मजदूरी कर रहे हैं. यहां से 500 रुपये का कहकर ले जाते हैं और वहां 300-400 रुपये देते हैं. खाने के पैसे नहीं हैं मास्क के पैसे कहां से लाए. जेब में सिर्फ 10 रुपये हैं.
अमित कुमार, प्रवासी मजदूर, भरतपुर (राजस्थान)

अंसारी खातून भी लेबर चौक पर काम के लिए घंटों इंतजार करती हैं. और कई बार घर खाली हाथ लौटती हैं. घर का किराया और कर्ज बढ़ता जा रहा है. बदकिस्मती से बेरोजगारी और कर्ज के तले दबने वाली अंसारी खातून अकेली नहीं हैं. उनके जैसे कई लोग यहां आते हैं और काम मिले बिना खाली हाथ वापस लौट जाते हैं.

संसद में सरकार ने अपने एक जवाब में कहा कि जितने भी प्रवासी मजदूरों की नौकरी गई 'उसका कोई डेटा नहीं है'. लेकिन अप्रैल में CMIE* ने अनुमान लगाया कि लॉकडाउन के बाद करीब 9.1 करोड़ दिहाड़ी मजदूरों की नौकरियां चली गई हैं.

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