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लोहिया,जिन्होंने कभी नेहरू के खर्चे पर उठाए थे सवाल: योगेंद्र यादव

राम मनोहर लोहिया को अपना गुरु मानते हैं योगेंद्र यादव.

शादाब मोइज़ी
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राम मनोहर लोहिया की पुण्यतिथि पर विशेष
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राम मनोहर लोहिया की पुण्यतिथि पर विशेष
( फोटो:Harsh/The Quint )

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(ये स्‍टोरी क्‍विंट हिंदी पर पहली बार 12 अक्‍टूबर, 2017 को पब्‍ल‍िश हुई थी. क्विंट के आर्काइव से हम इसे पाठकों के लिए फिर से पेश कर रहे हैं.)

6 सितंबर 1963 का दिन. देश की संसद में बैठे थे भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू और उनके सामने समाजवादी नेता राम मनोहर लोहिया. लोहिया ने संसद में खड़े हो कर नेहरू के रोजाना खर्चे पर सवाल उठाते हुए कहा,

“जहां देश के गरीब आदमी की रोजाना आमदनी 3 आना है, वहीं प्रधानमंत्री नेहरू का रोजाना का खर्च करीब 25000 रुपये है. प्रधानमंत्री को इस बात का जवाब देना चाहिए.”

जी हां, स्वतंत्रता सेनानी राम मनोहर लोहिया आजाद भारत के पहले ऐसे शख्स थे, जिन्होंने कांग्रेसवाद के खिलाफ आवाज उठाई थी. राम मनोहर लोहिया समाजवादी विचारक, राजनीतिज्ञ, चिंतक और लेखक थे.

राम मनोहर लोहिया का जन्म 23 मार्च, 1910 को उत्तर प्रदेश के अकबरपुर में हुआ था. 12 अक्टूबर, 1967 को भारत के लोहिया ने दुनिया को अलविदा कह दिया था. योगेंद्र यादव लोहिया को अपना गुरु और मार्गदर्शक भी मानते हैं.

लोहिया को याद करते हुए योगेंद्र कहते हैं:

“जब देश आजादी की खुशी मना रहा था तब कोलकाता में सांप्रदायिक हिंसा हो रहे थे. और उस हिंसा को रोकने के लिए गांधी जी कोलकाता में थे. आजादी के वक्त तक गांधी को सब ने अकेला छोड़ दिया था. लेकिन उस वक्त भी लोहिया गांधी के साथ थे.”

लोहिया ने अपनी मैट्रिक परीक्षा पास करने के बाद इंटरमीडिएट में दाखिला बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में लिया. उसके बाद उन्होंने वर्ष 1929 में कलकत्ता विश्वविद्यालय से ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की और पीएच.डी. करने के लिए बर्लिन विश्वविद्यालय, जर्मनी, चले गए.

“स्वभाव से फक्कड़ और लोगों के प्रिय डॉ. लोहिया कहा करते थे, लोग मेरी बातें सुनेंगे जरूर.. शायद मेरे मरने के बाद, मगर सुनेंगे जरूर.”
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भारत वापस आने पर वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए और साल 1934 में कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी की नींव रखी. 1936 में पंडित जवाहर लाल नेहरू ने उन्हें अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी का पहला सचिव नियुक्त किया.

1944 में लोहिया को गिरफ्तार कर लाहौर जेल ले जाया गया, जहां उन्हें तीन महीने तक अंग्रेजों ने प्रताड़ित किया. जब भारत की आजादी का वक्त करीब आ गया, तब सभी कांग्रेसियों को छोड़ दिया गया, लेकिन जेपी और लोहिया को गांधीजी के हस्तक्षेप के बाद ही अंग्रेजों ने 11 अप्रैल 1946 को आगरा जेल से छोड़ा.

देखिए लोहिया से जुड़ी खास बातें स्वराज इंडिया के संयोजक योगेंद्र यादव के साथ.

वीडियो एडिटर: मोहम्मद इब्राहिम

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Published: 12 Oct 2017,08:48 AM IST

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