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ऑनलाइन शॉपिंग: रिव्यू है अच्छा, ये देख खा ना जाइएगा गच्चा

सायरस जॉन
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क्या आपको मालूम है कि ऑनलाइन रिव्यूज लिखने के लिए कई लोगों को पैसे दिये जाते हैं?
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क्या आपको मालूम है कि ऑनलाइन रिव्यूज लिखने के लिए कई लोगों को पैसे दिये जाते हैं?
(फोटो: द क्विंट)

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कैमरा: सुमित बडोला

वीडियो एडिटर: पुनीत भाटिया

ऑनलाइन शॉपिंग में बहुत धोखे हैं. ऐसे में आप सोचते हैं कि जिन लोगों ने ये प्रोडक्ट यूज किया है, जरा उनकी राय जान लें. तो जनाब... ज्यादातर कस्टमर ‘बाय नाउ’ बटन दबाने से पहले रिव्यूज पढ़ते हैं और स्टार रेटिंग देखते हैं.

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किसी प्रोडक्ट को जितने स्टार मिलेंगे या उसकी तारीफ में जितने रिव्यूज होंगे, उनकी खरीदारी के मौके भी उतने ही बढ़ जाएंगे. वेबसाइट में वो प्रोडक्ट टॉप लिस्ट में होगा और उसे टॉप रिकमेंडेड का दर्जा मिलेगा. ई-कॉमर्स का हिसाब-किताब इसी तरह चलता है.

लेकिन क्या आपको मालूम है कि इन रिव्यूज को लिखने के लिए कई लोगों को पैसे दिये जाते हैं?

ये परेशानी गलाकाट कॉम्पिटिशन की वजह से है. अपने प्रोडक्ट को दूसरे से बढ़िया बताने के लिए सही-गलत सारे तरीके अपनाए जाते हैं.

फेक रिव्यूज

इस स्कैम के बारे में हमें एक सोर्स के जरिए पता चला. उन्होंने सैकड़ों मैसेजिंग ग्रुप्स के स्क्रीनशॉट भेजे जिनमें प्रोडक्ट रिव्यू लिखवाने वाले लोग शामिल हैं. उन ग्रुप्स में साफ-साफ लिखा होता था कि उन्हें प्रोडक्ट का अच्छा रिव्यू लिखने के लिए अच्छे राइटर्स चाहिए. तसल्ली के लिए तस्वीरें भी मांगी जाती थीं.

आमतौर पर रिवॉर्ड के रूप में उन्हें प्रोडक्ट का फ्री सैम्पल या कैशबैक मिलता है. जब आप कोई प्रोडक्ट खरीदते हैं, तो बेचने वाले को अपने पोस्ट किये गए रिव्यू का स्क्रीनशॉट भेजिये और रिवॉर्ड पाइये. अनुमान है कि शॉपिंग साइट्स पर 30 से 45 फीसदी तक फेक रिव्यूज होते हैं.

अपनी बड़ाई ही नहीं दूसरे की बुराई से भी कमाई करने का खेल होता है. तो ऐसे लोग भी होते हैं, जो किसी प्रोडक्ट का खराब रिव्यू भी लिखते हैं. ताकि जो पैसे दे रहा है उसके प्रोडक्ट को फायदा हो.

मुझे ये तो नहीं पता कि इस काम के लिए साइन-अप कैसे किया जाता है, लेकिन एक पार्ट टाइम जॉब हंटिंग वेबसाइट Fivver पर "प्रोडर्ट रिव्यूअर" नाम की बाकायदा एक लिस्टिंग है.

HuffPost की एक स्टोरी के मुताबिक अहमदाबाद का एक बायोमैकेनिक स्टार्ट अप, Fovera, अपने किसी भी प्रोडक्ट का रिव्यू लिखने के लिए पेटीएम पर 100 रुपये का कैशबैक ऑफर करता है. हालांकि ये साफ नहीं है कि रिव्यू पॉजिटिव ही होने चाहिए,

लेकिन कोई कम्पनी खराब रिव्यू लिखने के लिए तो पैसे देगी नहीं. इस बारे में जानने के लिए हमने Fovera से संपर्क किया तो उन्होंने कह दिया कि Huffpost की स्टोरी झूठी है. अब पता नहीं, कौन झूठ बोल रहा है...

शॉपिंग प्लेटफॉर्म पर फेक रिव्यूज का बोलबाला बढ़ता जा रहा है. किताबें हों या बल्ब, जोमैटो का प्रोडक्ट हो या ट्रिप एडवाइजर, हर प्लैटफॉर्म की कुछ ना कुछ खामियां हैं.

हमने फ्लिपकार्ट से पूछा कि वो एक ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म के रूप में इस समस्या का सामना कैसे करते हैं? तो उनका कहना था कि “फेक रिव्यूज और रेटिंग की पहचान के लिए सिस्टमेटिक और मैन्युअल दोनों तरह के तरीके अपनाए जाते हैं.”

अमेजन पर 18 लाख से ज्यादा सैलर्स हैं. करीब 600 मिलियन प्रोडक्ट डिस्प्ले पर हैं. ऐसे में यहां फेक रिव्यूज का बोलबाला है. लिहाजा हमने अमेजन से भी पूछा कि फेक रिव्यूज से निपटने के लिए क्या करती है कम्पनी. तो उन्होंने हमें ये नहीं बताया कि इस समस्या से वो कैसे निपटते हैं. हालांकि कई बार उन्होंने फेक रिव्यू करने वालों और सैलर्स पर जुर्माना भी लगाया है और उनके खिलाफ मुकदमा भी किया है.

इन प्लेटफॉर्म्स को जब भी कोई शक होता है, तो वो ऐसे सैलर्स को ब्लैकलिस्ट कर देते हैं या रिव्यू को पूरी तरह हटा देते हैं.

फेसबुक भी अपवाद नहीं. फेक रिव्यूज के कारण ये भी सुर्खियों में रहा है.

फेक रिव्यूज का नेटवर्क काफी बड़ा है. लिहाजा सभी गड़बड़ियों को पकड़ना मुमकिन भी नहीं है. ऊपर से, ये पता लगाना तो वाकई मुश्किल है कि कोई रिव्यू सही है या गलत.

तो सवाल है कि आप फेक रिव्यू से कैसे बच सकते हैं? और उससे भी बड़ा सवाल है कि आप उन्हें पहचानेंगे कैसे?

अब स्मार्टफोन को ही लीजिए, जिनके प्रोडक्ट रिव्यूज में अक्सर लिखा होता है, "शानदार प्रोडक्ट... शानदार क्वालिटी..." बेहतर है कि ऐसे रिव्यूज से दूर ही रहें.

आप Fakespot.com या ReviewMeta की भी मदद ले सकते हैं. जिस प्रोडक्ट के रिव्यू की आप जांच करना चाहते हैं, उसका यूआरएल यहां पेस्ट कीजिए और आपको जानकारी मिल जाएगी कि प्रोडक्ट रिव्यू सही है या गलत. इन वेबसाइट्स में प्रोडक्ट रिव्यू का ‘A’ से ‘F’ के बीच ग्रेड होता है. ये मुफ्त होता है और सही ऑनलाइन रिव्यू की जांच का सबसे भरोसेमंद तरीका है.

इसलिए ऑनलाइन शॉपिंग कर रहे हैं तो मेरी सलाह है कि इन प्लेटफॉर्म्स पर जो लिखा होता है, आंख मूंदकर उसपर भरोसा न करें. रिव्यू पढ़ने में थोड़ा वक्त लगाएं, अलग-अलग सोर्स से प्रोडक्ट के बारे में पता करें, फिर खरीदारी करें. आखिरकार आपका पैसा आपके खून-पसीने की कमाई है.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

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