Home Videos Exclusive | बजट में इंश्योरेंस स्कीम की घोषणा हवा-हवाई : चिदंबरम
Exclusive | बजट में इंश्योरेंस स्कीम की घोषणा हवा-हवाई : चिदंबरम
चिदंबरम ने कहा, आपको कैसे पता कि कौन बीमार पड़ेगा और कौन नहीं. पूरे 50 करोड़ लोगों को कवर करना होगा.
क्विंट हिंदी
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(फोटो : क्विंट हिंदी)
पूर्व वित्त मंत्री पी चिंदबरम ने बजट-2018 की हेल्थ प्रोटेक्शन स्कीम को दुनिया का सबसे बड़ा जुमला बताया है.
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पूर्व वित्तमंत्री पी चिदंबरम के मुताबिक, बजट-2018 में जिस हेल्थ प्रोटेक्शन स्कीम की घोषणा सरकार ने की है, वो दुनिया का सबसे बड़ा जुमला है. क्विंट के एडिटोरियल डायरेक्टर संजय पुगलिया से एक्सक्लूसिव बातचीत में चिदंबरम स्कीम की 'सेहत' और सरकार की नीयत पर जमकर बरसे.
चिदंबरम ने कहा :
सरकार ने कोई आंकड़ा नहीं दिया है. एक अफसर कहता है, इसमें 8 से 10 हजार करोड़ रुपये का खर्चा आएगा. दूसरा अफसर कहता है कि 12 हजार करोड़ रुपये खर्च होंगे. एक और अफसर कहता है, इसमें 20 हजार करोड़ खर्च आएगा. सरकार का कोई सेक्रेटरी इसका नंबर बोलने को तैयार नहीं.
पी चिंदबरम, पूर्व वित्तमंत्री
चिदंबरम के जिन 50 करोड़ लोगों को इस स्कीम में फायदा पहुंचाने की बात कही गई है, उनकी पहचान का कोई ठोस तरीका सरकार ने नहीं बताया है.
अगर आप सभी 50 करोड़ लोगों को फायदा पहुंचाना चाहते हैं, तो आप स्कीम कैसे लॉन्च कर सकते हैं? आपको कैसे पता कि कौन बीमार पड़ेगा और कौन नहीं. हमें पूरे 50 करोड़ लोगों को कवर करना होगा. या फिर आप एक-एक राज्य पकड़ेंगे? आप पहले बीजेपी की सरकार वाले राज्यों में कवरेज देंगे?
पी चिंदबरम, पूर्व वित्तमंत्री
चिदंबरम का सवाल है कि देश के कई राज्य पहले से अपनी स्वास्थ्य योजनाएं चला रहे हैं. वो राज्य केंद्र की स्कीम में शामिल होकर नया खर्चा क्यों करना चाहेंगे.
ये दुनिया का सबसे बड़ा बिना फंड का जुमला है. किस राज्य से चर्चा की गई? कौन सा राज्य इस स्कीम के साथ आने को तैयार है? कौन सा राज्य इसके लिए 40 परसेंट देने को तैयार है? आंध्र प्रदेश की हेल्थ स्कीम चल रही है, तमिलनाडु की स्कीम चल रही है, वो अपनी स्कीम बंद करके आपकी स्कीम के साथ आने को क्यों तैयार होंगे?
पी चिंदबरम, पूर्व वित्तमंत्री
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पूर्व वित्तमंत्री का आरोप है कि सरकार के अलग-अलग महकमों को एक-दूसरे के कामकाज की कोई जानकारी नहीं होती. इसकी वजह ये है कि सभी को निर्देश एक ही जगह से आते हैं.
इंश्योरेंस आधारित हेल्थकेयर सिर्फ इंश्योरेंस कंपनियों को फायदा पहुंचाएगा, लोगों को नहीं. सरकार का ट्रैक रिकॉर्ड है कि वो करने से पहले नहीं सोचते. पहले करते हैं, फिर सोचते हैं. इस सरकार के बाएं हाथ को नहीं मालूम कि दायां हाथ क्या कर रहा है. वैसे दाएं या बाएं हाथ किसी को नहीं मालूम कि क्या करना है. पीछे बैठा एक आदमी सब फैसले करता है. वो बाएं हाथ को कहता है ये करो, दाएं को कहता है तुम ये करो.