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RBI की पाबंदी के बाद, क्या PMC बैंक में जमा आपका पैसा सुरक्षित है?

इस बैंक में अपने पैसे जमा करने वाले ग्राहक अब क्या करें?

कौशिकी कश्यप
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पीएमसी बैंक पर आरबीआई का बैन  
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पीएमसी बैंक पर आरबीआई का बैन  
(फोटो: क्विंट हिंदी)

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वीडियो एडिटर: पूर्णेन्दू प्रीतम

संकट में फंसे पंजाब एंड महाराष्ट्र को-ऑपरेटिव बैंक के कस्टमर अब अपने अकाउंट से दस हजार रुपये निकाल सकेंगे. पहले उन्हें 6 महीने में 1000 रुपये ही निकालने की इजाजत थी. आरबीआई ने कहा कि बैंक के अकाउंट होल्डर्स को अब छह महीने में दस हजार रुपये निकालने की इजाजत होगी.

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PMC बैंक पर RBI का बैन

दरअसल, आरबीआई ने 23 सितंबर को एक सर्कुलर जारी किया, जिसके बाद हड़कंप मच गया. पंजाब एंड महाराष्ट्र को-ऑपरेटिव बैंक (PMC) की सात राज्यों में करीब 137 ब्रांच हैं. तकरीबन हर जगह कस्टमर्स की भीड़ जुटने लगी. हर कोई आशंकित था और जल्द पैसा निकालना चाहता था. बैंक के ज्यादातर ग्राहक लो-इनकम ग्रुप से हैं.

ग्राहकों की दिक्कतों को देखते हुए 26 तारीख को आरबीआई ने नया सर्कुलर जारी किया, जिसके मुताबिक 1000 रुपये की मियाद को बढ़ाकर 10 हजार कर दिया गया. आप पीएमसी बैंक के कस्टमर्स के प्रोफाइल का अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि बैंक के 60 फीसदी कस्टमर्स के खातों में जमा कुल राशि ही 10 हजार से कम है.

लेकिन रिजर्व बैंक के ताजा आदेश के बाद भी लोगों की बेचैनी बनी हुई है. भारी भीड़ की वजह से सब लोग पैसा निकाल नहीं पा रहे हैं यानी लोगों को अपने ही पैसों के लिए तरसना पड़ रहा है.

ऐसे में सभी के मन में सवाल है कि उनका पैसा बचेगा या नहीं. कहीं बैंक डूब तो नहीं जाएगा?

जमा बीमा और क्रेडिट गारंटी निगम

अगर आपको बैंक में जमा अपनी सेविंग्स को वापस पाना है तो इसका सबसे पहला जवाब है ‘जमा बीमा और क्रेडिट गारंटी निगम’ (DICGC). ये RBI की एक सहायक संस्था है. जो सभी तरह के अकाउंट्स में जमा धन की जिम्मेदारी लेता है.

देशभर के सभी कमर्शियल और सहकारी बैंक DICGC के तहत आते हैं. जिसमें PMC बैंक भी शामिल है. अगर बैंक डूब जाता है तो RBI की ये सहायक संस्था सभी कस्टमर्स को उनका पैसा वापस लौटाने की जिम्मेदार है.

इंश्योरेंस कैसे करता है काम?

बैंक में जमा पैसा इंश्योर्ड होता है. ये बीमा एक लाख रुपये तक के बैंक बैलेंस पर होता है, जो मूल धन और ब्याज दोनों पर लागू होता है. जब भी बैंक दिवालिया होता है या फिर डूब जाता है तो इंश्योरेंस का ये पैसा कस्टमर को दे दिया जाता है. इससे पहले देखा जाता है कि कस्टमर ने बैंक से कुछ लोन तो नहीं लिया. ये इंश्योरेंस बैंक के डूबने के 2 महीने के भीतर दिया जाता है.

अकाउंट में कितने पैसे होने पर मिलता है इंश्योरेंस?

जैसा कि आपको पहले ही बता चुके हैं कि किसी भी कस्टमर के मूल धन और उस पर लगने वाले ब्याज का इंश्योरेंस दिया जाता है.

समझने के लिए मानिए कि आपके अकाउंट में 90 हजार रुपये हैं और इस पर 5 हजार रुपये ब्याज मिल रहा है. तो ऐसे में आपको DICGC 95 हजार रुपये का इंश्योरेंस देगा. ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि आपका बैंक बैलेंस और उसका ब्याज मिलाकर 1 लाख से ज्यादा नहीं है.

लेकिन अगर आपके अकाउंट में 1 लाख रुपये हैं और उस पर आपको 6 हजार रुपये का ब्याज मिला है तो आप इंश्योरेंस लिमिट को क्रॉस कर गए हैं यानी बीमा एक लाख रुपये पर ही मिलेगा.

इंश्योरेंस प्रीमियम का क्या?

अगर आपने पहले ही इंश्योरेंस करवाया है तो ऐसे में पूरा प्रीमियम इंश्योरेंस करने वाला बैंक ही भरता है. कस्टमर के अकाउंट से कोई भी पैसा नहीं काटा जाता है. हालांकि, बैंक जमा राशि से कुछ चार्ज वसूल कर सकता है. DICGC एक ठोस विकल्प है हालांकि, पैसा मिलने की प्रक्रिया लंबी हो सकती है.

क्या करें ग्राहक?

ग्राहकों को सबसे पहले आरबीआई की तरफ से जारी आदेश के मुताबिक, अपने खाते से 10 हजार रुपये निकालने चाहिए.

क्या कोई और विकल्प भी हैं?

कुछ जानकारों का मानना है कि ग्राहक बैंक के खिलाफ कानूनी कार्रवाई का भी सहारा ले सकते हैं. हालांकि इसमें काफी लंबा वक्त लग सकता है.

देश में करीब डेढ़ हजार छोटे अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक हैं जो आमतौर पर गांव-देहात में काम करते हैं. इनमें से सिर्फ 2 दर्जन बैंक आरबीआई प्रशासन के तहत काम करते हैं जिनमें से पीएमसी एक है. करीब 11600 करोड़ रुपये की पूंजी वाला ये बैंक इस तरह के संकट से गुजरने वाला सबसे बड़ा बैंक है.

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