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वीडियो एडिटर: विवेक गुप्ता, पूर्णेंदु प्रीतम
हिंदी स्क्रिप्ट: मौसमी सिंह
प्यार, मोहब्बत, काडल, भालोबाशी, Lamour, Love- वैलेंटाइन डे, रोज डे, चॉकलेट डे, एक्सट्रीम फ्रिंज ग्रुप को इरिटेट करने वाला डे. रोमियो और जूलियट, लैला मजनू, राहुल और अंजलि, और कुछ लोगों के लिए, फ्रेंडजोन वाला प्यार
कई चीजें, जगह, लोग और प्लेलिस्ट हैं जिन्हें हम प्यार के साथ जोड़ते हैं. तो, हम पूछते हैं कि प्यार क्या है? और पॉलिटिक्स का इससे क्या लेना-देना है? तो, आइए इसकी शुरुआत साइंस से करते हैं. प्यार में पड़ना थ्री स्टेप प्रोसेस है, जिसमें कई केमिकल शामिल होते हैं लेकिन सबसे पहले, कई स्टडीज से पता चला है कि प्यार में पड़ने से दिमाग में वैसे ही बदलाव होते हैं जैसे गंभीर मानसिक बीमारियों में होते हैं. थ्री स्टेप पर वापस चलते हैं
तीन स्टेज हैं
और हर स्टेज में टेस्टोस्टेरोन और एस्ट्रोजन से लेकर डोपामाइन, एड्रेनालिन, सेरोटोनिन और ऑक्सीटोसिन तक कई हार्मोन होते हैं. और फैक्टर्स भी हैं
जैसे आपके पार्टनर की खूशबू ... ये आपके पसीने और दूसरे बॉडी फ्लूड में पाए जाने वाले फेरोमोन्स की वजह से है, इसके अलावा हेल्दी बीएमआई, आपके चेहरे का स्ट्रक्चर वगैरह वगैरह
साइंस क्लास को छोटा करते हैं क्योंकि हम सही में प्यार की पॉलिटिक्स के बारे में बात करना चाहते हैं और हम अनारकली के एक कोट के साथ इसकी शुरुआत करना चाहते हैं, जिसने कहा था - ‘प्यार किया तो डरना क्या’- और फिर दूसरा कोट, जिसकी ओरिजिन साफ नहीं है, लेकिन इस स्टोरी के लिए भी उतना ही महत्वपूर्ण है- ‘जब मियां-बीवी राजी तो क्या करेगा काजी?’
2017 में, सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक पुट्टस्वामी फैसले में कहा-
हम सभी जानते हैं कि ऐसा नहीं है, 5 बीजेपी शासित राज्य हाल ही में तथाकथित 'लव-जिहाद' ’को रोकने के लिए अध्यादेश लेकर आए. एंटी कंवर्जन लॉ
1967 में, ओडिशा ने फ्रीडम ऑफ रिलीजन लॉ लागू किया और 1968 में एमपी ने मध्य प्रदेश धर्म स्वतंत्रता अधिनियम बनाया. इन कानूनों का सुप्रीम कोर्ट ने संवैधानिक तौर पर बरकरार रखा था - लेकिन ये निजता के अधिकार को सुनिश्चित करने से पहले की बात थी
यूपी और एमपी जैसे राज्यों के एंटी कंवर्जन ऑर्डिनेंस - जिसे बीजेपी नेताओं ने लव जिहाद से निपटने के उपायों के रूप में बताया था, भले ही कानून में इस फ्रेज का इस्तेमाल न किया गया हो - जबरन धर्म परिवर्तन को रोकने के आधार पर इसे उचित बताया जा रहा है. अगर आपको ये सही लग रहा हो, तो हम आपको बताते हैं कि ये ठीक क्यों नहीं है
ये संविधान के तीन मौलिक अधिकारों के बिल्कुल खिलाफ है
अध्यादेश की धारा 6 में अदालत को ये अधिकार दिया गया है कि वो शादी को रद्द कर सकती है, दोनों पक्षों में से किसी का भी धर्म परिवर्तित हुआ हो, भले ही शादी में किसी भी पक्ष ने शिकायत न की हो, जो विवाह कानून के सभी सामान्य सिद्धांतों के खिलाफ है.
किसी को अपने धर्म को बदलने की मांग करनी हो चाहे वो शादी के लिए भी हो, तो भी डीएम के पास 60 दिनों का नोटिस देना होगा - जब बात अंतर-विवाह की हो तो ये कपल को जोखिम में डाल सकता है
ये अध्यादेश पूरी तरह से असंवैधानिक क्यों है, इसकी सूची लंबी है, लेकिन हम एक अंतिम बात बताना चाहेंगे - अध्यादेश की धारा 12 के अनुसार धर्म परिवर्तन जबरदस्ती नहीं हुआ, इसको साबित करने का जिम्मा दोषी पर है, राज्य पर नहीं
देखिए, हम जानते हैं कि हमने बहुत ज्यादा ज्ञान दे दिया है, इसलिए हम थोड़ा और ज्ञान देते हैं और आपको राजनीति से इतिहास की तरफ ले चलते हैं, हम 2021 में हैं और हम ये वीडियो एंड करना चाहेंगे अनारकली के साथ, जिसने गाया है-
'पर्दा नहीं जब कोई खुदा से, बंदों से पर्दा करना क्या?'
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