Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Videos Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019जिस प्रेस काउंसिल से सरकार को लगता था डर, उसने किया सरेंडर

जिस प्रेस काउंसिल से सरकार को लगता था डर, उसने किया सरेंडर

World Press Freedom Index में भारत 140वें पायदान पर.

क्विंट हिंदी
वीडियो
Updated:
प्रेस की आजादी के सामने प्रेस की आजादी कायम रखने के लिए बनाया गया संगठन ही खड़ा है.
i
प्रेस की आजादी के सामने प्रेस की आजादी कायम रखने के लिए बनाया गया संगठन ही खड़ा है.
(फोटो: क्विंट हिंदी)

advertisement

वीडियो एडिटर: संदीप सुमन

जिस प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया से कभी सरकार को डर लगता था, वही अब सरकार के सामने समर्पण की मुद्रा में है. इमरजेंसी के वक्त सरकार को लगता था कि मीडिया पर पाबंदी के खिलाफ ये संस्था मुखर हो सकती है, लिहाजा ऐहतियातन उसे भंग कर दिया था. लेकिन आज क्या हो रहा है? प्रेस की आजादी के सामने प्रेस की आजादी कायम रखने के लिए बनाया गया संगठन ही खड़ा है.

जम्मू कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाने के साथ ही सरकार ने टेलीफोन, मोबाइल और इंटरनेट सर्विस बंद कर दी. अब छूट मिली भी है तो पूरी तरह नहीं. ऐसे में घाटी से अखबार या वेबसाइट निकालना नामुमकिन हो गया.

इसी के खिलाफ कश्मीर टाइम्स की एग्जीक्यूटिव एडिटर अनुराधा भसीन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की. 10 अगस्त, 2019 को अनुराधा भसीन ने कश्मीर में कम्यूनिकेशन ब्लैकआउट के विरोध में जो पेटिशन लगाई उसके खिलाफ प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया के चेयरमैन जस्टिस चंद्रमौली प्रसाद ने एक अर्जी दायर कर दी.

भसीन की पीटिशन के मुताबिक कश्मीर में काम कर रहे पत्रकार और मीडिया की रिपोर्टिंग और पब्लिशिंग बुरी तरह प्रभावित हुई है. लेकिन प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया के चेयरमैन जस्टिस चंद्रमौली प्रसाद ने अनुराधा भसीन की याचिका में हस्तक्षेप करते हुए सरकार के कदमों का समर्थन कर दिया.

सुप्रीम कोर्ट में अपने हलफनामे में PCI के अध्यक्ष ने कहा,

“प्रेस काउंसिल के मुताबिक पत्रकारों को राष्ट्रीय, सामाजिक और व्यक्तिगत हितों के मामलों में रिपोर्टिंग के दौरान सेल्फ-रेगुलेशन रखना चाहिए. इस याचिका का मकसद स्वतंत्र रिपोर्टिंग के दौरान पत्रकारों के अधिकारों की रक्षा के साथ-साथ राष्ट्रीय हित भी ख्याल रखना है. प्रेस की स्वतंत्रता और देशहित में मैं कोर्ट की मदद करना चाहता हूं.”

अब ये समझ से परे है कि यहां सेल्फ-रेगुलेशन, राष्ट्रीय हित इन सबसे चैयरमैन साहब कहना क्या चाहते हैं.

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

इन सबके बीच अब पीसीआई को प्रेस की आजादी में बाधा बनने के लिए आलोचना झेलनी पड़ रही है. प्रेस काउंसिल के पूर्व चेयरमैन से लेकर देश के बड़े अखबारों ने अपने एडिटोरियल के जरिए जस्टिस चंद्रमौली प्रसाद के इस कदम की निंदा की है. खुद काउंसिल के ही 11 सदस्य ने चंद्रमौली की चिट्ठी का विरोध कर दिया है.

सीनियर पत्रकार एन राम ने इसे अलोकतांत्रिक और असंवैधानिक बताया है. उनका गुस्सा इतना ज्यादा है कि उन्होंने ये तक कह दिया कि काउंसिल इससे ज्यादा और नहीं गिर सकती थी.

उन्होंने आगे कहा,

“भारत में मीडिया की आजादी को लेकर इससे खराब नजारा और क्या हो सकता है कि प्रेस काउंसिल का चेयरमैन कहे कि कम्युनिकेशन पर पाबंदी देश की अखंडता और संप्रभुता के हक में है.”

पीसीआई के पूर्व चेयरमैन जस्टिस पीबी सावंत ने द वायर को दिए एक इंटरव्यू में पीसीआई के मौजूदा चेयरमैन के फैसले पर नाराजगी जताई है. उन्होंने कहा है, “मैंने सुना है कि पीसीआई के सदस्यों ने इस फैसले का विरोध किया है और चेयरमैन ने अपनी क्षमता में सुप्रीम कोर्ट से संपर्क किया है. लेकिन किसी भी मामले में, चाहे वह अकेले सुप्रीम कोर्ट के पास गए हों या पीसीआई के अध्यक्ष के रूप में, मीडिया पर प्रतिबंधों का यह औचित्य दुर्भाग्यपूर्ण है.

अंग्रेजी अखबार द हिंदू ने चंद्रमौली प्रसाद के इस कदम का विरोध जताते हुए एक एडिटोरियल भी लिखा है.. 'द रॉग कॉउंसेल'. इस एडिटोरियल के जरिए उस दौर का भी जिक्र किया गया है जब पत्रकारिता ने मुश्किल से मुश्किल दौर में मजबूती से अपना काम किया था. एडिटोरियल में कड़े शब्दों में लिखा है,

“पंजाब में विद्रोह का वक्त हो या राम जन्मभूमि आंदोलन के वक्त हिंसक ध्रुवीकरण का. उन दिनों भी प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया ने काफी अच्छी भूमिका निभाई थी. लेकिन 1966 में जिस मकसद से बनी थी उससे ही भटकती दिख रही है.”

क्या है प्रेस कॉउन्सिल का काम?

1966 में बनी प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया एक अर्द्ध न्यायिक और स्वायत्त संगठन है और इसके पास दो स्पष्ट अधिकार हैं. पहला प्रेस और पत्रकारों की आजादी की रक्षा करना. दूसरा- पत्रकारिता में नैतिकता की निगरानी और इसके ऊंचे मानकों को बरकरार रखना, लेकिन प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया के चेयरमैन जस्टिस चंद्रमौली प्रसाद का ने जो किया है उससे World Press Freedom Index के 140वें पायदान पर खड़े हिंदुस्तान की रैंकिंग सुधरने से तो रही..

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

Published: 28 Aug 2019,04:15 PM IST

Read More
ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT