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वीडियो एडिटर: मोहम्मद इब्राहिम, पूर्णेंदु प्रीतम
साल 2019 के पहले दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने न्यूज एजेंसी ANI को इंटरव्यू दिया. 95 मिनट लंबे इस इंटरव्यू में पीएम मोदी ने नोटबंदी, राफेल विवाद, कर्जमाफी, मॉब लिंचिंग जैसे कई मुद्दों पर सवालों का सामना किया. हालांकि, जवाब देते वक्त प्रधानमंत्री ने कुछ अहम फैक्ट्स को नजरंदाज कर दिया, लिहाजा ये इंटरव्यू एकतरफा बातचीत जैसा ही रहा. ऐसे में क्विंट उन 10 सवालों को उठा रहा है, जिनका प्रधानमंत्री उपयुक्त जवाब नहीं दे पाए.
प्रधानमंत्री मोदी से जब अचानक की गई नोटबंदी के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि ये 'झटका' नहीं था. नोटबंदी देश के स्वास्थ्य और अर्थव्यवस्था के लिए जरूरी था.
लेकिन पीएम मोदी ने ये नहीं बताया कि जब नोटबंदी हो रही थी उस वक्त कहा गया कि सर्कुलेशन में जो भी ब्लैक मनी है, वो वापस नहीं आएगी. लेकिन अगस्त 2018 में आरबीआई की रिपोर्ट से पता चला कि करीब सारे डिमॉनिटाइज्ड नोट बैंकिंग सिस्टम में आ गए. करीब 99.3% पुराने नोट बैंकों में वापस आ गए.
इंटरव्यू के दौरान, पीएम मोदी ने राफेल पर ये कहा कि फ्रांस के राष्ट्रपति और भारत के प्रधानमंत्री इसपर बयान दे चुके हैं. पीएम मोदी ने ये भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट में भी मामला साफ हो चुका है. इंटरव्यू में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के आसपास ही पीएम ने बातचीत की. लेकिन उन्होंने ये नहीं बताया कि आखिर अनिल अंबानी को HAL की जगह कॉन्ट्रैक्ट कैसे मिला.
सबरीमाला विवाद और तीन तलाक पर इस इंटरव्यू में पीएम ने कहा कि तीन तलाक सामाजिक न्याय का मामला है न कि आस्था का. उन्होंने कहा था कि सबरीमाला मामले में सुप्रीम कोर्ट के माइनॉरिटी जजमेंट को बारीकी से पढ़ने की जरूरत है, जिसमें जस्टिस इंदु मल्होत्रा ने मंदिर की परंपरा को सही ठहराया था. ऐसे में प्रधानमंत्री मोदी आधार मामले में जस्टिस चंद्रचूड़ के माइनॉरिटी फैसले को मान कर इसे पूरी तरह रद्द क्यों नहीं कर देते?
विजय माल्या और दूसरे आर्थिक भगोड़ों पर पीएम इस इंटरव्यू में कहते हैं कि ऐसे लोगों को यहां रहकर नियम-कानून का पालन करना पड़ेगा, पाई-पाई चुकाना होगा. इसलिए वो भाग गए. पीएम मोदी विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहते हैं कि पहले की सरकारों में ऐसा नहीं होता था, दोस्ताना चलता था.
जब पीएम से रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर उर्जित पटेल के इस्तीफे के बारे में पूछा गया. पीएम का कहना था कि उर्जित पटेल उनसे 6-7 महीनों से इस्तीफा देने के लिए आग्रह कर रहे थे.
मॉब लिंचिंग पर पीएम मोदी ने चिंता जताते हुए पीएम मोदी ने कहा कि ये समाज के अंदर आई कमी का एक परिणाम है. ऐसी घटनाओं के पक्ष में कभी भी आवाज नहीं उठनी चाहिए, लेकिन पीएम ने ये भी कहा कि क्या ये 2014 से ही शुरू हुई.
पीएम मोदी इस बात का क्या जवाब देंगे कि उनके ही मंत्री जयंत सिन्हा ने झारखंड में लिंचिंग के 8 दोषियों का स्वागत किया था. इतना ही नहीं एक दूसरे मंत्री नितिन गडकरी ने इसे फ्रीडम ऑफ स्पीच बता दिया था.
सर्जिकल स्ट्राइक पर पीएम मोदी ने कहा कि इसका राजनीतिकण नहीं होना चाहिए. लेकिन वो भूल गए कि सर्जिकल स्ट्राइक में अहम भूमिका निभाने वाले रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल डी एस हुड्डा का कहना है कि सर्जिकल स्ट्राइक को बढ़ा चढ़ाकर पेश किया गया है और इसका राजनीतिकरण भी किया गया है.
जब पीएम से ये सवाल पूछा गया तो वो यूपीए सरकार को लताड़ने में लग गए. उन्होंने कहा,
लेकिन प्रधानमंत्री ने सीबीआई मामले में बोलना सही नहीं समझा. जब देश ने देखा कि किस तरह से सीबीआई के दो शीर्ष अधिकारियों को छुट्टी पर भेज दिया गया. वो देश की सबसे प्रतिष्ठित जांच एजेंसी में गतिरोध की स्थिति बनी रही.
इंटरव्यू में कर्जमाफी को पीएम को राजनीतिक स्टंट बताने से नहीं चूकते. उनका कहना है कि कर्जमाफी से जरूरतमंद किसानों को कम फायदा मिलता है.
लेकिन आकंड़े तो कुछ और ही कहानी बयां करते हैं. अगस्त 2018 की नाबार्ड की स्टडी के मुताबिक, 52.5% किसान परिवार जो कर्ज में हैं. इनमें से केवल 11.5% ने ही साहूकार से कर्ज लिया है. ऐसे में पीएम मोदी का ये दावा कि कर्जमाफी से किसानों को फायदा नहीं होता, तथ्य के तौर पर गलत है.
पश्चिम बंगाल और केरल जैसे राज्यों में 'राजनीतिक हत्याओं' पर पीएम कहते हैं
लेकिन राजनीतिक हिंसा तो दोनों तरफ से हुईं हैं. पश्चिम बंगाल में आरोप बीजेपी कार्यकर्ताओं पर भी लगे हैं. ऐसे में केरल और पश्चिम बंगाल में सिर्फ बीजेपी कार्यकर्ता ही हिंसा के शिकार नहीं हुए.
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