advertisement
(अबीरा धर क्विंट की एंटरटेनमेंट रिपोर्टर हैं. उन्हें न्यूयॉर्क से वापस लौटने के बाद मुंबई के कस्तूरबा हॉस्पिटल में क्वॉरंटाइन किया गया था. उनका COVID-19 परीक्षण निगेटिव पाया गया. वो अपना अनुभव बता रही हैं)
मैं 9 मार्च को न्यूयॉर्क से मुंबई पहुंची, जिसके बाद 11 मार्च को मेरे पास कॉल आया. डॉक्टर ने मुझसे पूछा कि क्या कोई लक्षण दिख रहे हैं, तो मैंने उनसे बोला कि मेरा गला खराब है. उन्होंने कहा कि कस्तूरबा हॉस्पिटल में जाकर चेकअप करा लीजिए.
हॉस्पिटल पहुंचने के बाद मैंने पूछा कि कोरोनावायरस का टेस्ट कहां कराना है? मुझे अच्छे तरीके से गाइड किया गया. वहां जाने के बाद करीब 10 लोग लाइन में खड़े थे. सब लोग मास्क पहने हुए थे. उन्होंने मुझसे सारी जानकारी मांगी. मुझे एक कार्ड बनाकर दिया गया और कहा गया कि एडमिट होना है. एडमिट होने का नाम सुनते ही मुझे लगा कि ये क्या हो गया.
मुझे फिर बताया गया कि टेस्ट के लिए एडमिट करना पड़ेगा क्योंकि जब तक रिजल्ट नहीं आ जाता, हम आपको छोड़ नहीं सकते. टेस्ट का रिजल्ट आने में 24 घंटे लगते हैं.
आधे घंटे के इंतजार के बाद हमें वॉर्ड बॉय आकर वॉर्ड नंबर 9 में ले गया. वहां सेनिटाइजर और मास्क रखे हुए थे. घुसते ही हाथ सेनिटाइज करने के लिए कहा गया. बेड अलॉट करने के साथ ही चादर बदल दी गई. हमें उसके बाद कंबल भी दिया गया. फिर डॉक्टर ने आकर स्वॉब टेस्ट किया. यही इकलौता टेस्ट होता है और इसके रिजल्ट में थोड़ा वक्त लगता है.
हम इंतजार कर रहे थे. फिर मेरे पति मेरा खाना लेकर आए लेकिन उन्हें परिसर में आने की इजाजत नहीं थी. मैंने दरवाजे से ही खाना ले लिया. एक चीज जो बहुत चौंकाने वाली थी कि वॉर्ड बहुत साफ था. बाथरूम भी बहुत साफ था. 11 बजे रात को रिपोर्ट आई और रिपोर्ट में निगेटिव रिजल्ट आया लेकिन घर पर उसके बाद भी फॉलोअप कॉल आया, जो बहुत अच्छी चीज है.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)