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देश में कोरोना वायरस के मामले करीब 6000 हो गए हैं. संक्रमण से मौतों की संख्या भी 150 से ऊपर जा चुकी है. देश में कोरोना वायरस के कई हॉटस्पॉट बन चुके हैं. राजस्थान का भीलवाड़ा जिला भी इन्हीं हॉटस्पॉट्स में से एक है. यहां 25 से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं और 2 मौत हो चुकी हैं. लेकिन 10 दिन से भीलवाड़ा में COVID-19 का एक भी नया केस सामने नहीं आया है. पूरे देश में भीलवाड़ा संक्रमण पर काबू करने का 'मॉडल' बन चुका है. 'भीलवाड़ा मॉडल' की क्या विशेषताएं हैं और ये सफल कैसे हुआ, क्विंट ने ये जाना इस मॉडल के लिए जिम्मेदार वहां के डीएम राजेंद्र भट्ट से.
भट्ट ने क्विंट को बताया कि भीलवाड़ा मॉडल कई सारी चीजों को जोड़कर बनता है-
भट्ट ने कहा कि बहुत ज्यादा टेस्टिंग संभव नहीं है, इसलिए टारगेट ग्रुप निकालना पड़ता है और जो लोग टेस्टिंग में पॉजिटिव आते हैं, उनके करीबियों और कॉन्टैक्ट में आने वाले लोगों की टेस्टिंग कराई जाती है.
भीलवाड़ा के डीएम राजेंद्र भट्ट ने बताया कि बड़ी तादाद में क्वारंटीन फैसिलिटी के लिए उन्हें होटल, हॉस्टल, कई और संस्थानों का अधिग्रहण करना पड़ा.
राजेंद्र भट्ट ने कहा, "हम ये मान कर चलते हैं कि जो अनुमान है कि सारे इलाकों में बराबर की टेस्टिंग करनी पड़ेगी. इसके लिए आपको क्लस्टर मैपिंग करनी पड़ेगी. जहां पॉजिटिव केस मिले हैं, उसे केंद्र मानते हुए 1 किमी का एरिया कन्टेनमेंट एरिया, 3-5 किमी का एरिया बफर एरिया बनाना पड़ेगा. डिसइंफेक्टेंट स्ट्रेटेजी साथ में लेकर चलनी पड़ेगी, जिसमें हर दिन 1% हाइपोक्लोराइट का छिड़काव."
भट्ट ने कहा कि इस सबके के लिए जरूरी है लोग घर में रहें और इसलिए जरूरी सामान की डिलीवरी घर पर हो. डीएम का कहना है कि लोग घर पर सहज होने चाहिए और उन्हें कोई कमी नहीं हो.
भीलवाड़ा के डीएम का कहना है कि डॉक्टरों ने कितने मरीजों को देखा था इसका कोई आंकड़ा नहीं मिल रहा था. उन्होंने कहा, "हमारे सर्वे में पता चला कि 14-15 हजार संदिग्ध आए. इन्हें हमने घर पर क्वारंटीन किया. इनकी मॉनिटरिंग के लिए गांवों में कोरोना फाइटर्स की टीम बनाई. ये टीम हमसे लगातार संपर्क में थी. SDM और BDO लेवल के अफसरों ने कोरोना कैप्टेन के तौर पर काम किया."
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