Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Videos Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019राजस्थान:बॉर्डर के इन 2 गांवों में बच्चे को जन्म देना सबसे मुश्किल

राजस्थान:बॉर्डर के इन 2 गांवों में बच्चे को जन्म देना सबसे मुश्किल

ये गांव हिंदुस्तान और पाकिस्तान के बॉर्डर के करीब है.

शादाब मोइज़ी & अस्मिता नंदी
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जरूरी सुविधाओं से दूर जैसलमेर का बीदा गांव
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जरूरी सुविधाओं से दूर जैसलमेर का बीदा गांव
(फोटो: शादाब मोइज़ी)

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वीडियो एडिटर: अभिषेक शर्मा

2 गांव, 900 से ज्यादा लोगों की आबादी, एक हेल्थ सेंटर, एक ANM लेकिन एक भी डॉक्टर नहीं. ये कहानी है राजस्थान के जैसलमेर के बीदा गांव की. ये गांव हिदुस्तान और पाकिस्तान के बॉर्डर के करीब है. ये गांव राजस्थान के रेतीले इलाकों के बाकी गांवों जैसा है. जीने के लिए हर जरूरी सुविधाओं से दूर, बहुत दूर.

राजस्थान के चुनावी कवरेज के लिए जब क्विंट की टीम जैसलमेर के इन इलाकों में थी तब यहां के लोगों ने बॉर्डर के करीब गांव के लोगों के स्वास्थ्य समस्याओं के बारे में बताया. यहां सबसे ज्यादा महिलाओं के लिए मुश्किलें हैं.

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बच्चे को जन्म देना यहां सबसे मुश्किल

गांव की अन्या बताती हैं कि इस गांव में महिलाओं के लिए सबसे मुश्किल दौर प्रसव का होता है.

पहली बात तो यहां 25 किलोमीटर तक कोई हॉस्पिटल नहीं ही, गांव में सिर्फ एक सब हेल्थ सेंटर है. एक नर्स हैं वो अगर छुट्टी पर चली जाती हैं तो फिर हमें 65 किलोमीटर दूर जाना पड़ता है. लेकिन इसके लिए एम्बुलेंस नहीं है. एम्बुलेंस आए भी कैसे मोबाइल का नेटवर्क यहां नहीं मिलता है. और अगर फोन लग भी गया तो शहर से एम्बुलेंस आने में बहुत वक्त लगता है. अब आप ही बताइए औरत अपना दर्द देखे या ये सब समझे.

जब हमने ये सारी बातें सुनी तो सोचा क्यों ना हेल्थ सेंटर भी देख लें. हेल्थ सेंटर में हमारी मुलाकात एएनएम दनपति से हुई. दनपति बताती हैं,

इस सब सेंटर पर मैं सिर्फ एक ANM हूं और यहां की जो पोपुलेशन है वो 900 से थोड़ी ऊपर है. अभी तो मुझे एक लेबर टेबल मिली है. एक IV स्टैंड मिला है. एक बेड और एक गद्दा. इस टाइम चार्ज में तो बस ये मिला था. उसके बाद एक सिस्टर ने 4 कुर्सियां लाकर दी और थोड़ा स्टेशनरी का समान.

नेताओं का पता नहीं, इलाज राम भरोसे

गांव के ही सिब्बल सिंह कहते हैं कि चुनाव का वक्त है तो नेता लोग आ जाएंगे लेकिन उसके अलावा कोई नहीं पूछता. अन्या से नेताओं के बारे पूछते ही कहती हैं कि वोट यहां घर वालों के कहने पर दिया जाता है. पूरा इलाका एक फैसला करेगा कि किसे वोट देना है. बस सब उसी के पीछे वोट देंगे. इसलिए नेताओं को फर्क नहीं पड़ता है.

बच्चों में उम्मीद, गांव में होगा अस्पताल

हेल्थ सेंटर के पास के स्कूल में पढ़ने वाली बच्चियों से जब हमने पूछा कि आपको बड़े होकर क्या बनना है तो उनमे से ज्यादातर का जवाब था 'डॉक्टर'. क्योंकि इन्हें लगता है कि इनके पढ़ लेने से गांव में अस्पताल बन सकता है.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

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