advertisement
वीडियो एडिटर: अभिषेक शर्मा
2 गांव, 900 से ज्यादा लोगों की आबादी, एक हेल्थ सेंटर, एक ANM लेकिन एक भी डॉक्टर नहीं. ये कहानी है राजस्थान के जैसलमेर के बीदा गांव की. ये गांव हिदुस्तान और पाकिस्तान के बॉर्डर के करीब है. ये गांव राजस्थान के रेतीले इलाकों के बाकी गांवों जैसा है. जीने के लिए हर जरूरी सुविधाओं से दूर, बहुत दूर.
राजस्थान के चुनावी कवरेज के लिए जब क्विंट की टीम जैसलमेर के इन इलाकों में थी तब यहां के लोगों ने बॉर्डर के करीब गांव के लोगों के स्वास्थ्य समस्याओं के बारे में बताया. यहां सबसे ज्यादा महिलाओं के लिए मुश्किलें हैं.
गांव की अन्या बताती हैं कि इस गांव में महिलाओं के लिए सबसे मुश्किल दौर प्रसव का होता है.
जब हमने ये सारी बातें सुनी तो सोचा क्यों ना हेल्थ सेंटर भी देख लें. हेल्थ सेंटर में हमारी मुलाकात एएनएम दनपति से हुई. दनपति बताती हैं,
गांव के ही सिब्बल सिंह कहते हैं कि चुनाव का वक्त है तो नेता लोग आ जाएंगे लेकिन उसके अलावा कोई नहीं पूछता. अन्या से नेताओं के बारे पूछते ही कहती हैं कि वोट यहां घर वालों के कहने पर दिया जाता है. पूरा इलाका एक फैसला करेगा कि किसे वोट देना है. बस सब उसी के पीछे वोट देंगे. इसलिए नेताओं को फर्क नहीं पड़ता है.
हेल्थ सेंटर के पास के स्कूल में पढ़ने वाली बच्चियों से जब हमने पूछा कि आपको बड़े होकर क्या बनना है तो उनमे से ज्यादातर का जवाब था 'डॉक्टर'. क्योंकि इन्हें लगता है कि इनके पढ़ लेने से गांव में अस्पताल बन सकता है.
(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)