Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Videos Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019रवीश मल्होत्रा, स्पेस में पहुंचने वाले पहले भारतीय बनते, लेकिन...

रवीश मल्होत्रा, स्पेस में पहुंचने वाले पहले भारतीय बनते, लेकिन...

फाइटर पायलट रवीश ने राकेश शर्मा के साथ ली थी ट्रेनिंग

अरुण देव
वीडियो
Updated:
रवीश ने राकेश शर्मा के साथ ली थी ट्रेनिंग
i
रवीश ने राकेश शर्मा के साथ ली थी ट्रेनिंग
(फोटो: द क्विंट)

advertisement

वीडियो एडिटर: पूर्णेन्दू प्रीतम

विंग कमांडर राकेश शर्मा. अंतरिक्ष तक की छलांग लगाने वाले पहले हिंदुस्तानी. एक जाना पहचाना नाम. लेकिन अगर अंतरिक्ष में राकेश शर्मा नहीं जाते तो कौन होता वो दूसरा हिंदुस्तानी जिसके सिर इस कामयाबी का सेहरा सजता.

वो नाम है रवीश मल्होत्रा.

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

1984 के इस मिशन के लिए रवीश, उन दो पायलटों में से थे, जिन्होंने रूस में ट्रेनिंग ली. राकेश शर्मा अगर मुख्य दल का हिस्सा थे, तो रवीश मिशन के बैकअप एस्ट्रोनॉट.

शुरुआत में ही हमें पता था कि हम दोनों को ही चुना गया है. सिर्फ एक को अंतरिक्ष में जाना है और दूसरे को यहीं ठहरना है. फिर भी ये एक ऐसा तजुर्बा था, जिससे रिकी(राकेश शर्मा) और मेरे अलावा कोई दूसरा हिंदुस्तानी नहीं गुजरा.
रवीश मल्होत्रा, एयर कमोडोर (रिटा.)

हालांकि रवीश शुरुआत से आसमान की सैर करना नहीं चाहते थे, उनका दिल तो समंदर की गहराइयां नापना चाहता था. वो हमेशा नेवी ज्वाइन करना चाहते थे.

पुराने दिनों को याद कर रवीश बताते हैं, “पता नहीं क्यों मुझे नेवी ज्वाइन करने की इच्छा थी. जब मैं सेलेक्शन के लिए गया तो मुझे कहा गया कि नेवी के लिहाज से आपकी नजर ठीक नहीं है हालांकि एयरफोर्स के लिए ये ठीक है. उस समय एयरफोर्स कैडेट की भी कमी थी. मैंने हामी भर दी और इस तरह मैं एयरफोर्स का हिस्सा बन गया. वो भी बतौर फाइटर पायलट”

रवीश ने 1971 के भारत-पाक युद्ध में हिस्सा लिया. इस दौरान मौत से उनकी आंख-मिचौली भी हुई.

एस्ट्रोनॉट बनने का ऑफर

युद्ध के बाद, इस बार अंतरिक्ष यात्रा की पेशकश के साथ भाग्य ने उनके दरवाजे को एक बार फिर खटखटाया. रूस में ट्रेनिंग के लिए पायलट भेजने का फैसला भारत सरकार ने लिया था. सेलेक्शन के लिए एक फाइटर पायलट होना जरूरी था जो शारीरिक रूप से फिट हो.

20 लोगों में से 4 को रूस भेजने के लिए चुना गया. वहां उनके डॉक्टरों ने कुछ और मेडिकल टेस्ट किए जिसके बाद अंत में राकेश शर्मा और रवीश मल्होत्रा चुने गए.

दो साल तक ट्रेनिंग चली. “हमें रशियन सीखनी पड़ी. अंतरिक्ष यान के भीतर नाम, निशान सब रशियन में थे.”

आखिरकार वो लम्हा भी आया जब तय हुआ कि राकेश अंतरिक्ष में जाएंगे और रवीश बैकअप रहेंगे.

ट्रेनिंग के बीच में तय हुआ कि रिकी मुख्य टीम का हिस्सा होंगे और मैं स्टैंडबाय टीम का. शायद ये निर्देश दिल्ली से आया.  
रवीश मल्होत्रा, एयर कमोडोर (रिटा.)

क्या भारत को अंतरिक्ष में एस्ट्रोनॉट भेजना चाहिए?

इस उम्र में मैं तो नहीं कर सकता, लेकिन अगर सरकार ने तय किया है और पीएम मोदी ने फैसला लिया है तो कोई वजह नहीं कि हम ये न कर सकें. मुझे यकीन है कि हमारे पास टेक्नोलॉजी है.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: 04 Sep 2018,09:23 AM IST

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT