advertisement
1000 साल से भी अधिक पुराना, भारत (India) बहुत सारे निर्वाचन क्षेत्रों और तहजीबों का घर रहा है, जो आज दुनिया को एक नई पहचान देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है. गौरतलब है कि आज के दौर में भारत की अपनी धर्मनिरपेक्षता खतरे में है लेकिन अभी भी उम्मीद है. तमाम तरह की राजनीति, साम्प्रदायिक नफरत और अपराध के बावजूद देश के सिद्धांत और इसके झंडे में लोगों का यकीन हर विपरीत परिस्थितियों में जीत हासिल करेगा.
सुनिए...अभिनव नागर की कलम से निकली कविता साकिब सलीम की आवाज में “मैं हिन्दुस्तान हूं”
मैं हिंदुस्तान हूं
मुझपर यकीन रखना...
10 हज़ार साल से ज़िदा हूं मैं
मैंने सभ्यताओं को पाला है...
आए कितने मुझको अपने रंग रंगने
मैंने अपने रंग में सबको ढाला है
पर दिखे अगर तुम्हें आज कोई
फिर अपना एक रंग चढ़ाता हुआ...
सारे रंगों को बेरंग बता के
अपना ही इतिहास पढ़ाता हुआ...
बस याद रखे, ये फ़ितरत है मेरी...
ना फ़र्क करना,
ना मोहब्बत में कमी रखना...
मैं हिंदुस्तान हूं
मुझपर यकीन रखना...
जब लगे तिरंगे की आड़ में
कोई और रंग हावी होने लगे...
अनेकता से सजेय देश में जब
कोई 'एक' सोच काफ़ी होने लगे...
अहिंसा परमो धर्म की मिट्टी पर
जब हिंसा भी सहारा बने...
बंटवारे की सोच शब्दों में ढालकर
चुनावों का जब नारा बने...
तब भी होंगे करोड़ों रखवाले
जो जानते हैं धर्म-जात से ऊपर उठकर
सबसे आगे सरजमीं रखना..
मैं हिंदुस्तान हूं
मुझपर यकीन रखना...
इस धरती ने पूजा है अच्छाई को
करोड़ों यहां भगवान रहे...
और रहेगी सलामत हस्ती मेरी
जब तक सोच में संविधान रहे...
वो संविधान जो अंबाला से अंडमान तक
भारत भाग्य विधाता है..
जो कहता है हुक्मरान नहीं...
हर हिंदुस्तानी ये देश चलाता है...
हो मायूसी की वजह कई..
पर आदत है मेरी.. उछलकर, उम्मीदों पर पांव रखना...
मैं हिंदुस्तान हूं
मुझपर यकीन रखना...
क्रेडिट्स...
कविता: अभिनव नागर
परफॉर्मेंस: साकिब सलीम
एडिटर: वीरू किशन मोहन
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)